न सदस्यों के हित में फैसले और न लोगों को मिल रहे प्लाट, बगैर संचालक मंडल के ठप पड़ा हाउसिंग सोसायटियों का काम
जिनके प्लाट के नाम पर फंसे पैसे, उन्हें नहीं मिल रहे वापस
उज्जैन। उज्जैन जिले में संचालित हाउसिंग सोसायटियों के काम बगैर संचालक मंडल के ठप पड़े हुए है। यह हाल केवल उज्जैन में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में है। इन संस्थाओं में वर्षों से चुनाव नहीं हो सके है लिहाजा सोसायटियों से जुड़े सदस्यों के हित में फैसले अटके हुए है वहीं जिन लोगों ने प्लाट के लिए पैसे फंसा रखे है उन्हें भी पैसे वापस नहीं मिल रहे हैै। इसके अलावा प्लाट भी नहीं मिल पा रहे है। जबकि सोसायटियों से जुड़े सदस्यों ने प्लाट लेने के लिए पैसे लगा रखे है।
प्रदेशभर में कई गृह निर्माण सहकारी समितियों के खिलाफ जांच चल रही है। इसके बावजूद विभाग गंभीर नहीं है। ज्यादातर हाउसिंग सोसायटियों में संचालक मंडल के चुनाव तक नहीं हो पाए हैं। विभाग ने अधिकारियों को ही प्रशासक नियुक्त कर रखा है। यह स्थिति कई वर्षों से है। सोसायटियों का कामकाज ठप हो गया है। हालात यह हैं कि सदस्यों के हित में न तो फैसले हो पा रहे हैं और न लोगों को प्लॉट मिल रहे हैं। न ही पैसे वापस हो पा रहे हैं। प्रदेश में 2,110 गृह निर्माण सहकारी सोसायटियां पंजीकृत हैं। नियम यह है कि किसी भी गृह निर्माण सहकारी समिति के कामकाज का संचालन उसका संचालक मंडल करता है। रजिस्ट्रेशन के तीन माह के अंदर मंडल का चुनाव कराना अनिवार्य है। मंडल में 14 सदस्य होते हैं। इनमें से 11 को सोसायटी के सदस्य चुनते हैं। तीन सदस्य नामांकित होते हैं। संचालक मंडल के सदस्य ही अध्यक्ष, दो उपाध्यक्षों का चुनाव करते हैं। मंडल का कार्यकाल 5 साल होता है। इसके बाद सहकारिता अधिनियम के अनुसार यह स्वत: भंग हो जाता है। गृह निर्माण सहकारी समितियों में गड़बड़ियों की भरमार है। आलम यह है कि मूल सदस्य प्लॉट के लिए भटक रहे हैं।
शासन बना रहा नई गाइडलाइन
गौरतलब है कि गृह निर्माण सोसायटियों द्वारा बेची गई जमीन, प्लॉट के संबंध विकास अनुज्ञा से लेकर, नामांतरण, अंतरण के संबंध में अब कोई अनापत्ति और एनओसी जारी नहीं होगी। इस संबंध में आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाओं की तरफ से रोक लगा दी गई। कई गृह निर्माण सोसायटियों में फर्जी तरीके से मतदान कराने के बाद वास्तविक सदस्यों के प्लॉटों की बिक्री के मामले सामने आने के बाद इस संबंध में शासन की तरफ से नई गाइडलाइन बनाई जा रही है। जब तक यह सामने नहीं आती, रोक लगी रहेगी। आदेश में बताया गया है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के परिपालन में गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं द्वारा विक्रय की भूमियों के संबंध में नए दिशा निर्देश और प्रावधान (एसओपी) बनाए जा रहे हैं। ऐसे में गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं की भूमि नहीं बेची जा सकती है। गृह निर्माण सोसायटी में नए प्लॉट, भूखंड की बिक्री से लेकर रीसेल प्लॉट तक की बिक्री पर रोक लग गई है। कोई अध्यक्ष चुनाव कराने के बाद चोरी छिपे प्लॉट बेच भी देता है तो वह इस अवधि में मान्य नहीं होगा। क्योंकि एनओसी पर रोक लगी है। ये आदेश अवैध और वैद्य दोनों प्रकार की सोसायटी की जमीनों पर लागू है।- जिन सोसायटी में प्रशासक नियुक्त हैं, उन में भी प्लॉट और भूमि की खरीद फरोख्त पर एनओसी नहीं जारी होगी। अगर कोई जारी करता है तो 6 जुलाई से वह अवैध मानी जाएगी।