नई पार्किंग नीति पर विचार…निर्धारित स्थान के बाद ही मिलेगी बिल्डिंग परमिशन

उज्जैन। उज्जैन में पार्किंग की समस्याओं से परेशानी हर दिन ही सामने आती है और यह समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। शहर में ऐसे कई मॉल या शॉपिंग कॉप्लेक्स है जहां पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है और ऐसी स्थिति में यहां आने वाले लोग पार्किंग के लिए या तो जगह ढूंढते है या फिर चाहे जहां वाहनों को खड़ा कर देते है।
हालांकि अब इस समस्या का स्थाई निदान के लिए शासन स्तर पर नई पार्किंग नीति बनाई जाने पर विचार हो रहा है। और इसके चलते  नई नीति के अनुसार मॉल, शापिंग काम्प्लेक्स, बड़ी व्यावसायिक इमारतों में ई वाहनों के लिए पार्किंग स्पेस रखना जरूरी होगा। उनके लिए चार्जिंग पाइंट भी बनाना होंगे। निर्माण की ड्राइंग व प्लान को शामिल किया जाएगा। पूर्व में बन चुकी इमारतों में भी पार्किंग के लिए जगह सुनिश्चित कराई जा सकती है। दरअसल, निकायों में पार्किंग के लिए कोई नीति नहीं है। मप्र की नई पार्किंग पॉलिसी में यह प्रावधान किए गए हैं। इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले महीने पॉलिसी को हरी झंडी मिल जाएगी। नगरीय निकायों में पार्किंग के लिए कोई एक नीति नहीं है। निकाय खास तौर से नगर निगम अलग-अलग मॉडल पर पार्किंग स्थलों का संचालन और शुल्क वसूलते हैं। शहरों में आबादी के साथ ही वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके मुकाबले पर्याप्त पार्किंग स्थल उपलब्ध नहीं हैं। कई शहरों में सड़कों पर पार्किंग हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए और सभी निकायों में एक जैसे नियम लागू करने के लिए वर्ष 2016 में पार्किंग नीति का मसौदा बन गया था। हालांकि, यह कवायद आगे नहीं बढ़ पाई। अब पिछले दो तीन साल से नगरीय प्रशासन संचालनालय पॉलिसी को अंतिम रूप देने में जुटा है। केंद्र व राज्य सरकार ई वाहन नीति को ध्यान में रखते हुए इनकी बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर चार्जिंग स्टेशन समेत अन्य प्रावधान किए जा रहे हैं। पार्किंग क्षेत्र का 20 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रखा जा सकता है। इस नीति का मसौदा लगभग तैयार हो गया है और राय के लिए शहरी सुधारों से जुड़ी निजी कंसलटेंट फर्म को भेजी गई है। सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि पार्किंग कहां हो। यह पॉलिसी में तय करना चाहिए। किसी भी क्षेत्र या रोड पर ट्रैफिक के दबाव के आधार पर निर्धारित किया जाए कि दो पार्किंग के बीच कितनी दूरी हो। पेड व मुफ्त पार्किंग स्थल स्पष्ट तौर से बताने चाहिए। पार्किंग के अलावा कही भी वाहन खड़े करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई होना चाहिए। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग व्यवस्था अच्छा कदम है।