अक्षय बम को पेपरलीक कांड में फिर घेरा

इंदौर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अक्षय बम के भाजपा में शामिल होने से नाराज कांग्रेस नेता ने उन्हें पेपरलीक कांड में उन्हें फिर घेरा है। पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के नेतृत्व में दो स्थानों पर प्रदर्शन कर बम के आयडोलिक कालेज पर कार्रवाई करने की मांग की।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का पहला प्रदर्शन कुलगुरु कार्यालय पर हुआ, जहां कुलगुरु डॉ. रेणु जैन से उन्होंने मांग की कि कॉलेज संचालक अक्षय बम के कॉलेज में आजतक जो परीक्षा संचालित हुई है, जितने पेपर की परीक्षा हुई है और कितने पेपर संबंधित थाने में रखे गए हैं, इसकी जांच की जाना चाहिए। उनसे ये भी मांग की गई कि अक्षय बम के कॉलेज की मान्यता रद्द क्यों नहीं की जा रही है?

इस पर डॉ. जैन ने कहा कि हमने कॉलेज की मान्यता रद्द करने के लिए शासन को पत्र लिख दिया है। अभी तक पुलिस की जांच रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट मिलने पर आगे कार्रवाई करेंगे। कुलगुरु से बातचीत के वक्त पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने कहा कि यूनवर्सिटी को अर्थदंड का अधिकार नहीं है, जांच कर दोषी पाने पर न्यायालय को आर्थिक दंड देने का अधिकार है। सीनट को भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। आप लोगों ने मिलकर पूरे मामले की लीपापोती कर दी है।

इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्रसिंह यादव के नेतृत्व में रानी सराय पहुंचे और पुलिस उपायुक्त पंकज पांडे को ज्ञापन देकर अक्षय बम पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। पांडे ने कहा कि कहा कि पूरे मामले की जांच जारी है, जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर एफआईआर होगी। ज्ञापन में बताया गया कि आयडोलिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कॉलेज के संचालक अक्षय बम के निर्देशानुसार प्राचार्य विश्वविद्यालय से भेजे हुए प्रश्नपत्र संबंधित थानों में जमा नहीं करते थे।

केवल एक एमबीए का प्रश्नपत्र लीक हुआ हैं, वह थाने में जमा नहीं करवाया गया था। ये पता लगाया जाए कि पूर्व में हुई परीक्षाओं के कितने प्रश्नपत्र थाने में जमा नहीं किए गए? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश पेपर लीक होने वाले कॉलेजो के लिए 1 करोड़ का जुर्माना और 10 साल की सजा भी तय कर दी हैं, मगर विश्वविद्यालय ने मामूली दंड करते हुए कॉलेज को छूट दे दी हैं। भाजपा नेताओं के दबाव में कॉलेज संचालक अक्षय बम को मुख्य आरोपी नहीं बनाया जा रहा है।