मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना : न  कंपनियों   की रुचि और न मिला रोजगार…

पंजीयन की संख्या से आधे को भी नहीं मिल सका रोजगार

उज्जैन। सूबे के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा भले ही सीखो कमाओ योजना को लागू कर युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का दावा किया था लेकिन जब से यह योजना शुरू हुई है तब से अब हालत यह है कि संबंधित कंपनियों रूचि न तो इस योजना में है और न ही अधिकांश को रोजगार मुहैया हो सका है। बताया गया है कि जिले में जितने पंजीयन हुए है उनमें से आधे को भी रोजगार नहीं मिला है। लिहाजा पढ़े लिखे युवाओं की रूचि अन्य  रोजगार तलाशने की तरफ ज्यादा है।

 भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना में काम तय रफ्तार के अनुसार नहीं मिल रहा है। प्रदेश में अगस्त 2023 से शुरू हुई योजना में अब तक उज्जैन जिले समेत  71 लाख युवाओं ने पंजीयन कराया है , लेकिन उज्जैन जिले समेत  मात्र 25 हजार को ही रोजगार मिल सका। यानी रोजगार देने के सरकार के वादों पर मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना खरी नहीं उतर रही है। सरकार ने यह योजना इस दावे के साथ शुरू की थी कि एक साल में प्रदेश के एक लाख युवाओं को इससे रोजगार मिलेगा। एक साल बाद भी सिर्फ 25 हजार युवाओं को योजना से रोजगार का मौका मिल पाया है।

न तो कोर्स मॉड्यूल बनाए और न ही वैकेंसी की घोषणा

जब योजना की शुरुआत में अनुमान था कि कंपनियों को सीखने के साथ काम करने वाले मिलेंगे। स्टायपेंड में से मात्र 20 प्रतिशत ही उन्हें देना होता है। बाकी 80 प्रतिशत राज्य सरकार देती। हालांकि कंपनियों ने योजना में जरा भी रुचि नहीं दिखाई। यही कारण है कि रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी कई कंपनियों ने न तो कोर्स मॉड्यूल बनाए और न ही वैकेंसी की घोषणा की। ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत कंपनियों को ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करना पड़ती है, जिसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया है।  ऑनलाइन हाजिरी नहीं होने पर सरकार की तरफ से पैसा नहीं मिलता है। अगस्त 2023 में जहां 77 प्रतिशत आवेदकों की हाजिरी दर्ज हुई। वहीं, जून 2024 में भी यही स्थिति रही। सितंबर 2023 से मई 2024 तक जरूर 85 से 90 प्रतिशत आवेदक क्लास में पहुंचे। मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के तहत मिलने वाले स्टायपेंड के लिए युवाओं ने बढ़ -चढ़कर  आवेदन किया है। स्टायपेंड मिलने के लालच में आवेदन करने वालों में 12वीं पास या आईटीआई के अलावा इंजीनियर तक शामिल हैं।  सबसे ज्यादा  आवेदन आईटी सेक्टर के कोर्स के लिए आए। बेरोजगारी दूर करने के दावे के साथ सीखो कमाओ योजना में निशुल्क ट्रेनिंग के साथ पात्र आवेदकों को हर महीने आठ से 10 हजार रुपए स्टायपेंड भी दिया जाता है। सरकार ने एक लाख युवाओं को हर साल रोजगार देने का दावा किया था। योजना में अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग कंपनियों ने का नामांकन किया और कई टेंड में ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किए। ट्रेनिंग पूरी होने पर संबंधित कंपनी या किसी अन्य कंपनी में युवाओं को नौकरी मिल सकती है।