कारगिल विजय दिवस पर सनातन विचार मंच द्वारा शहीदों के परिजनों का किया सम्मान

देवास। देश की सरहद पर जान की परवाह करे बिना 24 घंटो राष्ट्र की रक्षा करने वाले वीर जवानों के कारण हमारा राष्ट्र और सनातन सुरक्षित है। अपने प्राणों की आहुति देकर जिन वीर पुत्रों ने भारत माता की अस्मिता को बचाया है उनके परिजनों का सम्मान करना शासन प्रशासन और हर जनमानस का कर्तव्य है। देश को अमरता का वरदान देकर शहीद हुए अमर शहीदों का सम्मान ही राष्ट्र की पूजा है।
यह विचार कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर सनातन विचार मंच द्वारा आयोजित वीर सपूत सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्र के श्रेष्ठ विचारक वरिष्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन ने व्यक्त किये। समारोह की अध्यक्षता कारगिल योद्धा रहे कैप्टन सरदार सिंह रावत ने की। इस अवसर पर अमर शहीद योगेश्वर धाकड़ बरोठा, अमर शहीद सुरेंद्र सिंह गोहिल एनाबाद, अमर शहीद रामचंद्र एरवाल बांगर, अमर शहीद गजेंद्र राव सुर्वे उज्जैन के माता-पिता एवं परिजनों का सनातन विचार मंच द्वारा 400 ग्राम चांदी के सिक्के एवं सम्मान पत्र भेंट करके सम्मान किया गया। इसी क्रम में जाट समाज देवास एवं हरियाणा मैत्री संघ इंदौर द्वारा 400 ग्राम चांदी के सिक्कों से प्रत्येक सहित परिजनों का सम्मान किया।
गुरु सिंह सभा के दीपचंद जुनेजा ने प्रत्येक परिजनों का शाल श्रीफल के साथ सम्मान किया। सनातन विचार मंच द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। शब्द सुमन से स्वागत व्यक्त करते हुए सनातन विचार मंच के अध्यक्ष महेंद्र कुमार नगर में सनातन विचार द्वारा 25 वर्षों से मनाया जा रहे हैं कारगिल विजय दिवस एवं रचनात्मक कार्यों का वर्णन किया।
सनातन विचार मंच के संस्थापक क्रांतिकारी के प्रति राष्ट्रीय स्तर पर विशेष अभियान चलाने वाले रविंद्रनाथ भारद्वाज ने कारगिल युद्ध में वीर जवानों के साहस का वर्णन करते हुए देश के महान क्रांतिकारी आंध्र प्रदेश के अल्लीरु सीताराम राजू की बलिदानी गाथा का वर्णन करते हुए बताया कि इस क्रांतिकारी ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबा दिए थे। इसे समाप्त करने के लिए अंग्रेजों ने पूरी असम राइफल को उसके पीछे लगा दी किंतु अल्लीरू राजू ने अंग्रेजों से लोहा लिया आखिरकार वह गिरफ्तार कर 7 मई 1924 को अंग्रेजों ने उन्हें पेड़ से बांधकर गोली से उड़ा दिया था। यह वर्ष इस क्रांतिकारी की 100 वी पुण्य तिथि का वर्ष है, हम ऐसे महान क्रांतिकारी को नमन करते है।