खुसूर-फुसूर जन –जन की जिम्मेदारी… पर्यावरण सुधार के लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है
दैनिक अवन्तिका खुसूर-फुसूर
जन –जन की जिम्मेदारी…
पर्यावरण सुधार के लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है। यह जन-जन की जिम्मेदारी है। शासन – प्रशासन स्तर पर देखरेख और जन-जन का सहयोग इसमें होना चाहिए। एक पौधा मां के नाम कार्यक्रम को लेकर शहर में बनी रूपरेखा को दायरे की रूपरेखा कहा जा सकता है। इसमें जन-जन को जोडने के लिए वार्ड स्तर पर काम होना चाहिए था। आमजन को इसमें सीधे जोडने के लिए वार्ड स्तर के जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्रों में स्थानों का चयन कर वहां के निवासियों को हर घर पौधे उपलब्ध नगर निगम की और करवाने का काम किया जा सकता था। नगर निगम की कचरा गाडी में पौधे रखकर उन्हें हर क्षेत्र में घुमाया जाता और जहां से कचरा लिया जाता उन क्षेत्रों में माता-बहनों से एक पौधारोपण करने का निवेदन किया जाता तो पौधा रोपण के लिए माता बहने नगर निगम की जमीन पर जगह ढूंढ ही लेती। पौधारोपण कार्यक्रम को आमजन से नहीं जोडते हुए इसे बंद कमरों की बैठक तक सिमित कर दिया गया। नगर निगम ने अपना लक्ष्य बनाया लेकिन वार्ड स्तर पर आमजन को लक्ष्य दिया जाता और जनप्रतिनिधि इसकी जिम्मेदारी लेते, लाडली बहनों को साथ लेकर आंगनवाडी कार्यकर्ता इन्हें अंजाम देती,इसके साथ ही शासकीय विद्यालयों और निजी में बच्चों को ट्राफिक पुलिस की तरह मिटिंग ली जाती तो पौधारोपण का आंकडा ही नहीं बढता बल्कि इससे आमजन सीधे तौर पर जुडता और उन पौधों की देखभाल भी करता। देर आयद दुरूस्त आयद जो हो जाए वहीं अच्छा । हरियाली अमावस्या पर पौधरोपण के महत्व को शहर के ज्योतिषाचार्य, पंडित के साथ ही तमाम वरिष्ठजन उद्त करें और आमजन से अपील करें तो अब भी एक सप्ताह में काफी कुछ किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा बच्चों और महिलाओं को अभियान से जोडने पर इसमें सकारात्मक परिणाम लाए जा सकते हैं। जैसे चुनावी रैली, आमसभा में प्रबंधन किया जाता है उस प्रबंधन को पर्यावरण के लिए उपयोग करने में हिचकिचाहट कैसी और क्यों। खुसूर- फुसूर है कि अभियान को शहर में बहुत ही सिमित प्रबंधन के दायरे में लेकर अंजाम दिया जा रहा है। जब पास का शहर बाहर निकलकर रेवती रेंज पर पौधारोपण कर सकता है तो हमारे आसपास भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां ऐसे छोटे –छोटे स्थलों का चयन कर पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए काम किया जा सकता था। नगर निगम के कालोनियों में स्थित उद्यानों में अव्यवस्थित स्थिति को ठीक करते हुए जमकर पौधारोपण किया जा सकता है। देवास रोड से इंदौर रोड को जोडने वाले मार्ग के बीच डिवाईडर में पौधे रोपे गए हैं। मार्ग के दोनों और की जगह पर कई स्थान खाली पडे हैं उन स्थानों का पर्याप्त उपयोग किया जा सकता है। यही स्थिति कई अन्य मार्ग पर भी है। देवासरोड पर ही दोनों और लगे वृक्षों की दूरी काफी है इनके बीच में भी पौधरोपण किया जा सकता है। शहर के हिस्से में ही हजारों लाखों पौधों का रोपण कर उनकी देखरेख भी पर्याप्त रूप से की जा सकती है।