उज्जैन जिले में बेटियों की जन्मदर की ये है स्थिति, एक हजार बेटों पर 902 बेटियां…चोरी छुपे भ्रूण परीक्षण पर भी अंकुश लगाना चुनौती
उज्जैन। उज्जैन जिले में बेटियों के जन्म दर की स्थिति सामने आई है। बताया गया है कि जिले में एक हजार बेटों पर करीब नौ सौ बेटियां है। हालांकि अन्य जिलों से उज्जैन की यह स्थिति अच्छी है लेकिन बावजूद इसके यह आंकड़ा अब समान करने का प्रयास हो रहा है वहीं चोरी छुपे भू्रण परीक्षण पर भी अंकुश लगाना चुनौती बना हुआ है।
खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में हुआ है। प्रदेश के 30 जिलों में पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार जन्म दर में सुधार हुआ है, जबकि 21 जिलों में बेटियों की जन्म दर में गिरावट आई है। प्रदेश के 17 जिले ऐसे हैं, जहां बेटियों की जन्मदर प्रति हजार से भी ज्यादा है। वहीं महिला-पुरुष के लिंगानुपात के मामले में पूरे प्रदेश में सबसे बेहतर स्थिति सिवनी जिले की है। एनएफएचएस-4 और 5 के अनुसार प्रदेश के छह जिलों में बेटियों की संख्या बेहद कम हुई है। इसमें दतिया, ग्वालियर, दमोह, सीधी, रायसेन और सतना में यह संख्या प्रति एक हजार बालकों पर घटकर आठ सौ से भी कम हो गई है। जबकि 16 जिले ऐसे हैं, जहां बेटियों की संख्या एक हजार से अधिक है। जन्म के समय शिशु लिंगानुपात में आ रही कमी को लेकर प्रतिष्ठित संस्था गल्र्स काउंट ने प्रदेश के जिलों में भ्रमण करके वास्तविकता समझने की कोशिश की है। अब महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर बालिकाओं को लेकर जागरूकता करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए स्कूलों में भी ओरिएंटेशन क्लास शुरू होंगी। जानकारों का कहना है कि बेटियों की अपेक्षा बेटे के प्रति चाहत का स्तर चिंताजनक तक बढ़ा है। कुछ जिले ऐसे हैं, जहां लिंगानुपात बढऩे की बजाय घटा है।
चोरी छुपे होने वाले भ्रूण परीक्षण पर भी अंकुश लगाना चुनौती बन गया है, ऐसे जिलों में अब पीसी-पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत सख्ती से कार्रवाई करने का प्लान बनाया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 का डेटा सैंपल सर्वे के आधार पर है। कुछ जिलों के लिंगानुपात में जो डेटा दिया गया है वह विश्वसनीय नहीं है। इसको क्रॉस चेक किया जाना बेहद जरूरी है। संयुक्त संचालक महिला बाल विकास भोपाल सुरेश तोमर का कहना है कि महिलाओं के लिए स्पेशल हब बनाकर काम किए जाएंगे। अभी बहुत काम करने की जरूरत है। एनएफएचएस का डेटा बहुत रिलायबल नहीं है। इसकी जांच करने की आवश्यकता है। एनएफएचएस-5 के अनुसार, दमोह और सतना में एक हजार बेटों पर 658 बेटियां हैं। वहीं दमोह में 751, ग्वालियर में 753, रायसेन में 754, सतना में 658, सीधी में 763, विदिशा में 960, उमरिया में 906, उज्जैन में 958, शिवपुरी में 963, मुरैना में 1087, कटनी में 958, गुना में 825 और बालाघाट में एक हजार बेटों पर 979 बेटियां हैं।