बच्चों के साथ कर सकेंगे उनके नाना-नानी, दादा-दादी भी पढ़ाई
उज्जैन। डॉ. मोहन यादव की सरकार ने एक बार फिर से सबको चौंका दिया है। मध्य प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों को एक ऐसा फरमान सुनाया है जिससे प्रदेश की साक्षरता दर बढ़ेगी वहीं इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ उनके नाना-नानी, दादा-दादी भी पढ़ाई कर सकेंगे। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से कई निजी स्कूलों के माथे पर बल पड़ गए हैं।
मध्य प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रदेश की साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए एक अनूठी पहल की है, जिसमें प्राइवेट स्कूलों के माध्यम से बच्चों के साथ-साथ उनके दादा-दादी, नाना-नानी और अन्य परिजनों को भी शिक्षित किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 15 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को नवसाक्षर बनाना है। इस पहल को ‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ के नाम से जाना जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि प्राइवेट स्कूलों को अपने आसपास के किसी एक गाँव, वार्ड या मोहल्ले को पूर्णतया साक्षर बनाने के लिए गोद लेना होगा। इस प्रक्रिया में निजी स्कूल कार्य योजना बनाकर काम करेंगे। इसके लिए प्रत्येक निजी स्कूल में एक शिक्षक को नोडल बनाया जाएगा,
नोडल शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे
जिसे साक्षरता कार्यक्रम के प्रस्तुतीकरण के साथ पारदर्शी संचालन के लिए बनाए गए NILP-MP एप एवं rskmp.in पोर्टल के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद नोडल शिक्षक अपने स्कूल के शिक्षकों और 6वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करेगा। इस योजना में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत प्रवेश देने वाले प्राइवेट स्कूलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इन स्कूलों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने आसपास के क्षेत्र को पूर्णतया साक्षर बनाने में सहयोग दें। इसके लिए स्कूलों में नोडल शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जो कि असाक्षर लोगों की पहचान, उन्हें शिक्षा देने और उनके साक्षर बनने तक की पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन करेंगे।
योजना से क्या होगा फायदा
मध्य प्रदेश का यह नवाचार साक्षरता दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह पहल न केवल बच्चों को बल्कि उनके परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को भी शिक्षा की रोशनी से जोड़ने का एक प्रयास है। इस पहल से समाज के हर वर्ग को शिक्षा का लाभ मिलेगा और साक्षरता का प्रसार व्यापक रूप से होगा।
इस योजना से शिक्षा का महत्व और उसकी आवश्यकता को समझने में लोगों को मदद मिलेगी, और यह समाज के हर वर्ग में जागरूकता फैलाने में सहायक सिद्ध होगी। शिक्षा के इस नए युग में मध्य प्रदेश ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे न केवल साक्षरता दर बढ़ेगी, बल्कि समाज में शिक्षा का व्यापक प्रसार होगा।
अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनेगी पहल
यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनेगी, जिससे देश की साक्षरता दर में वृद्धि होगी और समाज के हर वर्ग को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी साक्षरता अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए सार्वजनिक स्थानों पर नारे और फ्लेक्स लगाए जाएंगे। इसके साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ग्राम पंचायत और विकासखंड स्तर पर साक्षरता रथ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम लोगों को इस योजना के प्रति जागरूक करने में मदद करेगा। इसके अलावा, स्कूल और सामाजिक स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें साक्षरता के विषयों पर गीत और प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार असाक्षरों का सर्वे ऑफलाइन एवं NILP-MP ऐप के माध्यम से ऑनलाइन मोड में किया जाएगा। इसमें सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूल कार्य योजना बनाकर असाक्षरों का सर्वे करेंगे और कक्षाओं का संचालन करेंगे। गोद लिए गए क्षेत्र के असाक्षर लोगों के लिए स्कूलों में सामाजिक चेतना केंद्र का नियमित संचालन किया जाएगा। उल्लास-अक्षर पोथी प्रवेशिका के माध्यम से पठन पाठन कराते हुए उस स्थान को पूर्णतः साक्षर बनाया जाएगा। इस प्रक्रिया में शिक्षा का प्रसार एवं प्रचार अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।