सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने की कवायद -घर-घर जाकर करेंगे संपर्क, प्रशासन से भी सुधार करने की अपील
उज्जैन। शहर सहित जिले भर में संचालित होने वाले सरकारी स्कूलों में अब बच्चों की संख्या बढ़ाने की कवायद हो रही है। इसके लिए जहां घर-घर जाकर संपर्क किया जाएगा ताकि नामांकन की स्थिति को सुधारा जा सके वहीं जिला प्रशासन से भी यह अपील की गई है कि वह सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए उचित कदम उठाए।
सरकारी स्कूलों को सीएम राइज स्कूल और पीएमश्री स्कूल के रूप में विकसित करने के बाद भी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। शिक्षा विभाग के पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल सरकारी स्कूलों में लगभग सात लाख विद्यार्थियों की कमी आई है। जहां पिछले साल पहली से आठवीं तक जिले सहित प्रदेश में 63 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया था, वहीं इस साल यह संख्या घटकर जिले सहित प्रदेश में 56 लाख हो गई है।
सरकारी स्कूलों की संख्या में यह गिरावट तब हो रही है जब राज्य सरकार ने इन स्कूलों को सीएम राइज स्कूल और पीएमश्री स्कूल के रूप में विकसित करने के प्रयास किए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए मुफ्त किताबें, गणवेश और मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं के बावजूद, नामांकन की संख्या में कमी आ रही है। आंकड़ों के अनुसार, प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में अभिभावक निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। पिछले दो सालों में जिले सहित प्रदेश में सरकारी स्कूलों में लगभग सात लाख बच्चों की संख्या कम हुई है। वहीं, शाला त्यागी बच्चों की संख्या भी करीब चार लाख तक पहुंच गई है। सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के भवन और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण, छह हजार भवन क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। करीब 21 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। 38 जिलों के 355 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस सत्र में शून्य नामांकन हुए हैं, यानी इन स्कूलों में कोई भी बच्चा नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस साल सरकारी और निजी स्कूलों में कुल 1.21 करोड़ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है, जबकि पिछले साल यह संख्या 1.37 करोड़ थी। यानी इस सत्र में जिले सहित प्रदेश में 16 लाख विद्यार्थी कम हुए हैं। राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे बच्चों का नामांकन दर बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान शुरू करें और समग्र आईडी से मैपिंग करें, ताकि नामांकन बढ़ाया जा सके। स्थानीय प्रशासन से अपील की जा रही है कि सरकारी स्कूलों में आवश्यक सुधार किए जाएं और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।