किसानों की समस्याओं के लिए सीएम के नाम जिलाधीश को ज्ञापन दिया
देवास। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने जिला महामंत्री संतोष जाट के नेतृत्व में किसानों की ज्वलंत समस्याओं के लिए मुख्यमंत्री के नाम जिलाधीश को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में मांग की गई है कि प्रदेश के राजस्व विभाग में नामांतरण बंटवारा, इंद्राज दुरूस्ती के लाखों प्रकरण सालों से लंबित पड़े हैं उनका प्रशासन द्वारा अभी तक निराकरण नहीं किया गया है।
राजस्व अधिकारियों द्वारा अनैतिक मांग की जाती है जिससे किसान बहुत परेशान है। राजस्व रिकार्ड में हुई शासकीय गलती को मानते हुए निशुल्क सुधार किया जाए। प्रदेश में सहकारी समितियों एवं प्रायवेट व्यापारियों द्वारा अमानक खाद बीज एवं पेस्टीसाइड बेचा जा रहा है इसकी उचित जांच करवाकर दोषियों पर दंडनीय कार्यवाही की जाए। खेतों पर जाने के रास्तों को अतिक्रमण मुक्त कर खेत सड़क योजना लागू की जाए। कपास खरीदी में नमी मानक 7 प्रतिशत है जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जावे। पशु पालक किसानों को दुग्ध व्यवसाय में नुकसान हो रहा है जिसे 10 रु प्रति फेट किया जावे। भूमि के बढ़ते बाजार मूल्य को देखते हुए किसानों के केसीसी लिमिट कम से कम 20 लाख रू प्रति हेक्टेयर की जावे। बैंक द्वारा ओवर ड्यू होने पर किसानों से ऋण वसूली करते समय प्रताड़ित किया जाता है एवं किसानों के फोटो सार्वजनिक स्थानों पर लगाये जाते है जिससे किसान मानसिक रूप से अपमानित होकर आत्महत्या की और प्रेरित होता है।
किसानों के फोटो सार्वजनिक स्थान पर लगाना प्रतिबंधित किया जाए। प्रदेश में नहर निर्माण एवं अन्य शासकीय निर्माण में फर्जी मुआवजा वितरण किया जा रहा है ऐसे फजीर्वाडे को बंद किया जावे। सतना जिले में गेंहू खरीदी घोटाला में प्रभारी खाद्य आपूर्ति अधिकारी पर मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्यवाही की जावे। हाटपीपल्या माइक्रो वाटर परियोजना को गति देते हुए सतवास तहसील के परियोजना से वंचित गांवों को जोड़ा जाए।
राज्य सरकार द्वारा मूंग खरीदी एवं स्लाट बुकिंग की तारीख बढ़ाई जावे। सागर जिला के बीना नदी सिंचाई परियोजना में बीना तहसील के छूटे हुए सभी ग्रामों को जोड़ा जावे। जेपी पवार रिफायनरी में अधिग्रहित भूमि के किसानों को नौकरी दी जावे। प्रदेश की समस्त कृषि उपज मंडियों में ट्रेक्टर ट्राली में तुलाई हेतुु इलेक्ट्रानिक कांटे लगवाए जाए। 11 फरवरी को मध्यप्रदेश के किसानों को जेल में बंद किया गया उन पर मुकदमा दर्ज किया गया है जिसे राज्य शासन द्वारा वापस लिया जावे। मध्यप्रदेश के गन्ना उत्पादक किसानों को गन्ने की रिकवरी के हिसाब से भुगतान एवं बोनस दिया जावे। फोटो क्रमांक 002