गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों को लाने के लिए तेंदुआ को पकडकर ओंकारेश्वर छोडा जा रहा किनियाई चीतों के लिए देशी तेंदुआ का घर बदल शुरू -अभ्यारण्य में अंदर 20-22 एवं बाहरी क्षेत्र में करीब 125 तेंदुआ की जनसंख्या मौजूद
दैनिक अवंतिका
उज्जैन / मंदसौर। उज्जैन संभाग के गांधी सागर अभ्यारण्य में किनियाई चीतों को लाने के लिए देशी तेंदुआ का घर बदल शुरू कर दिया गया है। इन्हें पकडकर प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण्य परियोजना में छोडने का काम शुरू करते हुए प्रारंभिक स्थिति में 8 तेंदुआ का घर बदल कर ओंकारेश्वर क्षेत्र में छोडा गया है। यहां अभ्यारण्य के अंदर 20-22 तेंदुआ हैं और बाहरी क्षेत्र में करीब 125 तेंदुआ की मौजूदगी सामने आती है। कूनो राष्ट्रीय पार्क के बाद मध्यप्रदेश के मंदसौर –नीमच जिला अंतर्गत गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों का दुसरा घर बनाने की कवायद वन विभाग ने तेज कर दी है। इसके चलते अभ्यारण्य में मौजूद 20-22 तेंदुआ में से 8 को पकडा गया है। उनका घर बदल करते हुए खंडवा जिला अंतर्गत प्रस्तावित ओंकारेश्वर परियोजना में छोडे गए है। शेष को भी पकडकर छोडने की कवायद मंदसौर वन विभाग के साथ एक्सपर्ट कर रहे हैं। गांधीसागर अभ्यारण्य मंदसौर –नीमच जिला में 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके एक और चंबल नदी का बेक वाटर है। चीता लाने के लिए यहां पिछले डेढ वर्ष से तैयारियों का दौर चल रहा है। केंद्र का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की देख रेख में यह तैयारी की जा रही है। चीतों को लाकर शुरूआती दौर में यहां विशेष तौर पर अभ्यारण्य में बनाए गए 64 वर्ग किलोमीटर के बाडे में रखा जाएगा। बाडा बन कर तैयार है । उसकी विशेष तार फेंसिंग की गई है। उनके भोजन के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से विशेष तौर पर चीतल लाकर छोडे गए हैं। हाल ही में केंद्र से आई टीम ने इसका अवलोकन किया है। चीतों के लिए उपयुक्त वातावरण देने के लिए अभ्यारण्य में पूर्व से मौजूद 20-22 तेंदुआ को हटाया जा रहा है। पिछले एक माह के दरमियान 8 तेंदुआ को अभ्यारण्य क्षेत्र से पकड कर खंडवा जिले में ओंकारेश्वर अभ्यारण्य के जंगलों में छोडा गया है। चीतों के आहर के लिए गांधी सागर में कान्हा राषट्रीय उघान से 121 चीतल को भी लाकर बाडे में छोडा गया है।इसलिए हटाए जा रहे तेंदुआ-डीएफओं संजय रायखेडे बताते हैं कि चीतों को पर्याप्त एवं उपयुक्त वातावरण देने के लिए अभ्यारण्य में मौजूदा तेंदुआ को पकडा जा रहा है। प्रारंभिक स्थितियों में तेंदुआ चीतों के प्राकृतिक रहवास में बाधा पहुंचा सकते हैं और नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। चीतों के भोजन के लिए लाए गए 121 चीतलों को भी तेंदुआ खा जाएंगे। यही नहीं क्षेत्र में अभ्यारण्य एवं उसके बाहर की स्थिति में तेंदुआ की कुल संख्या लगभग 150 के आसपास है। जो कि इनके रहवास के क्षेत्रफल नार्मस के मान से जनसंख्या अधिक है। ऐसे में चीतों का प्राकृतिक रूप से सर्वाइव करना मुश्किल हो सकता है। इसके चलते अभ्यारण्य क्षेत्र के तेंदुआ को यहां से पकडकर ओंकारेश्वर वन्य क्षेत्र में छोडा जा रहा है। अभ्यारण्य क्षेत्र में करीब 20-22 तेंदुआ हैं। अभ्यारण्य के बाहर इनकी संख्या करीब 120 से अधिक है। अभ्यारण्य में विशेष बाडे की फेंसिंग 10 फीट की गई है। इसमें 8 तार लगाए गए हैं। यह पावर फेंसिंग है और इसके तारों में हल्का करंट रहेगा। जो किसी भी वन्य जीव के छूते ही उसे झटका देगा। इससे बाडे का जीव अंदर और बाहर का जीव बाहर ही रहेगा। अभी तक 8 तेंदुआ को पकडकर यहां से खंडवा जिला अंतर्गत परियोजना में छोडा गया है।आसानी से आ रहे पकड में-गांधीसागर अभ्यारण्य के सूत्र बता रहे हैं कि 64 वर्ग किलोमीटर के बाडे में मौजूद 20-22 तेंदुआ को पकडने के लिए बहुत अधिक मशक्कत नहीं करना पड रही है। वजह है इस बाडे में खाने का साधन उनके लिए अधिक नहीं है। ऐसे में अभ्यारण्य का दल विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों की देखरेख में उनको पकडने के लिए आहार रखता है और तेंदुआ सहज उपलब्ध भोजन की आस में पिंजरें में और काबू में आ रहा है। इसके उलट तेंदुआ बहुत ही चालाक वन्य जीवों में गिना जाता है। वह खतरनाक होने के साथ ही चतुर होता है। उसे पकडने में काफी मशक्कत करना पडती है। बाडे के अंदर मौजूद तेदुआ के कम मशक्कत में हाथ आने के पीछे एक ही कारण सामने आ रहा है कि बाडे के अंदर उनके भोजन के लिए सुलभ साधन और जंगली जानवर बहुत कम ही बचे हैं। इसके उलट बाडे से बाहर करीब 125 के लगभग तेंदुआ हैं जो प्रति तेंदुआ के मान से अभ्यारण्य इनके लिए छोटा है।
-केंद्र के निर्देशानुसार ही तैयारियां की जा रही है। लगभग 10 तेंदुआ को पकडकर प्रस्तावित ओंकारेश्वर परियोजना के जंगल में छोडा गया है। अभ्यारण्य में तैयारियों का क्रम तेज है। हाल ही में आए दल में देहरादुन एवं किनिया के एक्सपर्ट शामिल थे।
-एम आर बघेल, वन संरक्षक, संभाग उज्जैन