तीन साल बाद भी घोषणा पर अमल नहीं कर पाया मध्यप्रदेश शासन उज्जैन निवासी वन शहीद की न प्रतिमा लगी न मकान मिला न एक करोड -पत्नी कृष्णाबाई ने कहा-शासन और हमारा मामला ,11सितंबर को फिर कोरा निकल जाएगा वन शहीदी दिवस
दैनिक अवंतिका उज्जैन। उज्जैन के गढकालिका क्षेत्र निवासी मदनलाल वर्मा ने देवास जिले में वन्य जीवों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनकी शहादत के साढे तीन वर्ष बाद भी मध्यप्रदेश शासन पक्ष से तत्कालीन दौर में की गई घोषणाओं पर अमल नहीं हो पाया है। बलिदानी की न तो प्रतिमा लग सकी है न परिवार को मकान मिला और न ही एक करोड की आर्थिक सहायता ही मिल सकी है। मात्र इतना हुआ कि तत्कालीन डीएफओं ने विशेष प्रयास से शहादत की बीट पर शहीद का नाम अंकित करवा दिया ।
तीन साल पूर्व उज्जैन के गढकालिका क्षेत्र निवासी मदनलाल वर्मा देवास वन मंडल में कार्यरत रहते हुए पुंजापुरा में पदस्थ थे। वहां पर उन्होंने वन्य जीवों का शिकार करने आए शिकारियों से आमना सामना किया था। शिकारियों को उन्होंने चुनौती दी थी इस पर शिकारियों ने उन्हें गोली मार दी थी जिससे श्री वर्मा की शहादत हो गई थी। उन्होंने अकेले ही इस काम को निडरता से अंजाम दिया और शिकारियों का विडियो भी बना लिया था जिससे बाद में शिकारी पकडे गए । उनकी शहादत की घटना के दुसरे दिन उनका रक्त रंजित शव बीट में मिला था । उनके मोबाईल से पुरी घटना का खुलासा हुआ था।
घोषणाओं पर शासन प्रशासन अमल नहीं कर सका-
घटना सामने आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने माफियाओं पर लगाम कसने के लिए आपात बैठक लेकर कहा था कि वन रक्षक श्री वर्मा को शहीद के समकक्ष दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी, एक करोड रूपए और एक मकान दिया जाएगा,लेकिन यह मात्र घोषणा ही रह गई इस पर अमल अब तक नहीं हो सका। प्रशासन स्तर पर प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल ने भी इस घोषणा का उललेख किया था। तत्कालीन स्तर पर वन बीट पर शहीद के नामकरण की घोषणा पर अमल हुआ । बीट में प्रतिमा लगाने की घोषणा मात्र कागजों तक सिमटी हुई है। न तो परिवार को एक करोड की आर्थिक सहायता मिली और न ही मकान मिल सका है न प्रतिमा ही बीट में लग सकी है।
वन शहीदी दिवस ऐसे ही निकलेगा-
तत्कालीन रूप से शहादत स्थल की बीट पर शहीद के नाम को लेकर वन कर्मचारियों ने मांग की थी जिसे तत्कालीन डीएफओ पीएन मिश्रा ने मंजूर करते हुए उस पर अमल भी करवा दिया था। प्रतिमा की घोषणा पर अब तक अमल नहीं हो सका है। हर वर्ष 11 सितम्बर को राष्ट्रीय स्तर पर वन शहीदी दिवस मनाकर शहादत देने वाले कर्मियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। साढे तीन वर्ष उपरांत भी शहीद मदनलाल वर्मा की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी है। मामले के बाद वन कर्मचारियों संघ के नेताओं ने कहा था कि प्रतिवर्ष रतनपुर में 4 फरवरी को वन मेला आयोजित किया जाएगा ।
ये था पूरा घटनाक्रम-
पुंजापुरा वन परिक्षेत्र की बीट रतनपुर में 4 फरवरी 2021 को वन रक्षक मदनलाल वर्मा ने वन्यप्राणियों के शिकार करने वालों का बाइक से पीछा किया था। उन्होंने बदमाशों को जंगल से बाहर निकलने की चेतावनी दी थी, जिस पर बदमाशों ने फायर कर दिया था। वनरक्षक ने मोबाइल में वीडियो बना लिया था और शहीद हो गए थे। 5 फरवरी को रतनपुर बीट में उनका रक्तरंजित शव मिला था। उनके सीने में गोली लगी थी। उनका मोबाइल भी मौके से मिला था। जिसे चालू करने वीडियो क्लिप दिखाई दी, जिसमें मदनलाल अपराधियों को ललकारते और अपराधी गोली मारने की बात कहते हुए सुनाई दे रहे थे। इसके बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर तीन दिन में हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया था।
-सरकार ने घोषणा की थी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी थे। वन मंत्री शाह साहब भी घर आए और बेटे को अनुकंपा नियुक्ति पत्र दिया था। मैने स्मरण पत्र दिए थे। मसला मेरे और सरकार के बीच का है ।
-कृष्णाबाई वर्मा,शहीद की विधवा
-कुछ घोषणाओं पर अमल हुआ है।शेष की स्थिति में कल जानकारी लेकर ही बता सकूंगा।
प्रदीप मिश्रा,डीएफओ,देवास
-मेरी जानकारी में पूरा मामला नहीं है। डीएफओ से जानकारी लूंगा।
-एम आर बघेल वन संरक्षक,उज्जैन संभाग