18 वर्ष आयु वाले उम्मीदवारों के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय

भोपाल।    हाई कोर्ट जबलपुर ने एक महत्वपूर्ण और लंबित मामले में ऐतिहासिक निर्णय दिया है। यह निर्णय उन 18 वर्ष आयु वाले उम्मीदवारों के पक्ष में आया है, जिन्होंने 2020 की प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा की पात्रता परीक्षा पास की थी।

विवाद तब शुरू हुआ जब लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने 18 वर्ष की उम्र के उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल तो कर लिया, लेकिन बाद में नियुक्ति के समय न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष निर्धारित कर दी। इस असंगति के कारण कई योग्य उम्मीदवार नियुक्ति से वंचित रह गए थे। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ( का यह निर्णय न केवल एक कानूनी जीत है, बल्कि न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह उन सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि न्याय की लड़ाई में धैर्य और सही कानूनी मार्ग अपनाने से सफलता जरूर मिलती है। इस मुद्दे को लेकर 2022 से 13 याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने मामले को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। यह याचिकाएं उन उम्मीदवारों की ओर से थीं, जिन्होंने 18 वर्ष की आयु में परीक्षा पास की थी। बाद में डीपीआई एवं ट्राईबल वेलफेयर विभाग द्वारा संयुक्त काउंसलिंग के तहत लगभग 18 हजार पदों के लिए आवेदन किया था। डीपीआई द्वारा जारी नियम पुस्तिका के अनुसार  1 जनवरी 2022 की स्थिति में नियुक्ति के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई थी। इस आयु सीमा के कारण, याचिकाकर्ताओं को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था। इस निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने डीपीआई द्वारा जारी निर्देशिका और भर्ती नियम 2018 की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।

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