उज्जैन। चाहे देश की राजधानी दिल्ली की बात करें या फिर मध्यप्रदेश के किसी छोटे कस्बे या या बात उज्जैन शहर की ही क्यों न हो , अधिकांष कोचिंग संस्थान तय नियमों को धता बताकर संचालित होती है और इसका विपरित परिणाम दिल्ली जैसे रूप में सामने आता है।
गौरतलब है कि बीते दिनों दिल्ली राजेन्द्र नगर में संचालित एक कोचिंग संस्था में यूपीएससी की तैयारी करने वाले तीन स्टूडेंट्स की मौत होने का मामला सामने आया था। हालांकि इस घटना के बाद पूरे देष भर में संचालित होने वाली कोचिंग संस्थानों की जांच पड़ताल हो रही है। बता दें कि नियमों को ताक में रखकर संस्थाएं मोटा मुनाफा कमाने का उद्देष्य रखती है और बेसमेंट में भी संस्थाएं संचालित करने से गुरेज नहीं किया जाता है। शहर या छोटे स्थान है जहां भवनों के निचले तल अर्थात बेसमेंट में कोचिंग संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है।
सवालिया निषान खड़े हुए
दिल्ली में बाढ़ के पानी में डुबने से तीन विद्यार्थियों की मौत होने के बाद कोचिंग संस्थाओं के संचालन और उनके संचालन करने वालों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निषान खड़े हो रहे है। सवाल यह भी खड़े हो रहे है कि क्या स्थानीय प्रषासन या जिम्मेदार अफसरों का ध्यान दिल्ली की घटना के पहले ऐसी संस्थाओं की तरफ क्यों नहीं गया जो नियमों को ताक में रखकर संचालित हो रही है या फिर बेसमेंट
में संस्थाओं का संचालन कर पढ़ने वाले विद्यार्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
नतीजा फिर ढांक के तीन पात…..!
भले ही प्रषासन जागृत हुआ हो या फिर जांच के आदेष दिए हो लेकिन जिस तरह से बड़ी घटनाएं होती है और फिर जांच पड़ताल की जाती है लेकिन इसके बाद नतीजा ढांक के तीन पात हो जाता है…कहीं यही सब कोचिंग संस्थाओं के मामले में भी तो नहीं होगा।
क्या कहते है कोचिंग संस्थानों के नियम
षिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि जिस तरह से किसी ष्षैक्षणिक संस्थाओं का संचालन होता है उसी तरह से कोचिंग संस्थाओं का भी संचालन होना चाहिए। अर्थात विद्यार्थियों के लिए सभी तरह की सुविधाओं का होना जरूरी है और मोटी फीस भी वसूलने का अधिकार नहीं रहता है। बावजूद इसके मोटी
फीस वसूलने के चक्कर में कतिपय संचालक कोचिंग संस्थाओं का संचालन
मनमर्जी से करते है।