खुसूर-फुसूर “करम के अचारी “ नेता जी गायब…!
दैनिक अवंतिका खुसूर-फुसूर
“करम के अचारी “ नेता जी गायब…!
सत्ता मेहरबान तो गधा पहलवान… जिस पर मेहरबानी हो जाए वो योग्य और तमाम उपाधियों से नवाज दिया जाता है। यूं अगर आपके पास तमाम योग्यता है और सत्ता का वरदहस्त नहीं तो आपकी योग्यता किसी काम की नहीं है। ऐसा ही कुछ प्रदेश में पिछली सरकार में अमूमन सरकारों में कई बार देखने में आता है। पिछली सरकार में शहर के एक नेता जी जमकर छाए रहे। कई सालों तक वो लाल बत्ती के मजे लेते रहे। कभी न तो इन्होंने किसी का भला किया और किया भी तो उसकी आत्मा ही जानती है कि भला कैसा किया। हां किया तो सिर्फ सत्ता के लिए जोरदार गठबंधन और गांठ बंधन का काम जरूर किया। इनके साथ के ही कुछ “करम अचारी”इनसे उम्मीदें लगाए बैठे रहे। सरकारों ने जो बंधन के नियम बना दिए थे उन्हें हटवाने और समानता के नियमों को लागू करवाने को लेकर इनसे गुहारें लगाई गई लेकिन ये तो गठबंधन और गांठ बंधन में ऐसे उलझे रहे कि लंगोटिया यारों को दिलदारों को भी इन्होंने नहीं पहचाना। किसी का भला हो रहा हो तो इन्होंने उसमें गांठ बांध ली। वक्त एक सा नहीं रहता है आज बदल गया और बदलते ही सब कुछ हल हो गया। जिन संगठनों का जोर था वहीं कमजोर हैं । जिन साथियों का जोर था उनसे दूर हैं। अब तो सिरे से ही “करम के अचारी “ नेता जी गायब… हैं। खुसूर- फूसूर है कि “ करम अचारी ” ने कई अधिकारियों को कुछ अधिकारियों के लिए खूब हैरान परेशान किया और समय समय पर उन्हें डीजल के रूप में उपयोग किया। अब ऐसे ही लोग धीरे-धीरे इनका ईंधन बनकर कहीं और भभकने का काम कर रहे हैं।