किसानों की आय बढ़ाने के लिए समूह बनाकर जैविक खेती करवाई जाएगी
भोपाल । खेती की लागत घटाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश में समूह बनाकर जैविक खेती करवाई जाएगी। पांच-पांच सौ किसानों के समूह बनाए जाएंगे। इन्हें खेती करने के तौर-तरीके सिखाने के साथ उपज की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की व्यवस्था भी बनाई जाएगी। इसके लिए सरकार आउटसोर्स एजेंसी का चयन करेगी। इसका जिम्मा किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ उपज की ब्रिकी का प्रबंध करना होगा।
किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति हेक्टेयर पांच-पांच हजार रुपये तीन वर्ष तक दिए जाएंगे। इन्हें कहीं से भी सामग्री लेने की छूट रहेगी। तीन वर्ष तक किसान द्वारा की जाने वाली खेती का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा। जैविक उत्पाद का प्रमाणीकरण भी करवाया जाएगा, ताकि उपज का अच्छा मूल्य मिले। उवर्रक और रसायनिक पदार्थों के उपयोग से खेती की लागत बढ़ती जा रही है। मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित हो रही है। अत्याधिक मात्रा में खाद और कीटनाशकों के उपयोग से उपज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है, इसलिए सरकार भी जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। भारत सरकार ने मृदा उर्वरता में सुधार एवं स्वास्थ्यप्रद कृषि उत्पाद के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया है। राज्य सरकार ने तय किया है कि किसानों का समूह ऐसे बनाया जाएगा जिससे 20 हेक्टेयर का क्षेत्र निर्मित हो सके। 10 से 25 समूहों को मिलाकर एक क्लस्टर बनेगा, जो अधिकतम 500 हेक्टेयर का होगा। किसान के पास उपलब्ध भूमि में से अधिकतम दो हेक्टेयर भूमि तक के लिए लाभ दिया जाएगा। सचिव कृषि एम सेलवेंद्रन का कहना है कि योजना में लघु और सीमान्त किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। क्षेत्र भी ऐसे चयनित किए जाएंगे, जहां परंपरागत तरीकों से खेती की जाती है और उर्वरकों व रसायनों का कम प्रयोग किया जाता है।