घोटालों की भनक तक नहीं लगी सरकार को..मूल उद्देश्य से भटक रहे अफसर
उज्जैन। प्रदेश के ऐसे 27 निगम मंडल है जिनमें हजारों करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है और इनमें उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड भी शामिल है। जिस तरह से प्रदेश भर के निगम मंडलों के नाम भ्रष्टाचार होने के रूप में सामने आये है उनमें उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड भी शामिल है और जिस उद्देश्य से इसका गठन किया गया था, यहां के अफसर मूल उद्देश्यों से भटक रहे है।
गौरतलब है कि प्रदेश में सोशलिस्टिक पैटर्न ऑफ सोसायटी के आधार पर निगम-मंडलों की स्थापना की गई थी। इनकी स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य यह था कि राज्य में सुव्यवस्था, विकास, रोजगार और आम लोगों को सुख सुविधाएं मिले। लेकिन निगम मंडल अपने मूल उद्देश्य से भटक गए हैं। आज वर्तमान परिदृश्य में कई निगमों के हालात इतने बदतर हैं कि, अब उन्हें बंद करने के अतिरिक्त और कोई चारा सरकार के पास नहीं है।
कैग की रिपोर्ट में इनके नाम सामने आए
जिन निगम-मंडलों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है उनमें उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड साथ ही
मप्र राज्य पर्यटन निगम, मप्र सड़क विकास निगम, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, मप्र औद्योगिक विकास निगम, व प्रोविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी, मप्र ऊर्जा विकास निगम, मप्र जल निगम मर्यादित, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी, मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी, मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी, मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉरपोरेशन, जबलपुर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी, मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल, भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफेक्चर के पार्क, विम उद्योगपुरी लिमिटेड, मप्र राज्य खनन निगम लिमिटेड तथा मप्र राज्य वन विकास निगम शामिल है। इन निगम-मंडलों ने 2018-19 से लेकर 2022-23 के बीच हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इनमें व्यापक प्रकृति की अनियमितताएं पाई गई हैं।
सार्वजनिक उपक्रम यानि निगम-मंडलों की बाढ़ आ गई
मप्र में कांग्रेस सरकार के समय 52 निगम-मंडल हुआ करते थे। तत्कालीन समय में घाटे में चलने वाले 7 निगम-मंडलों को बंद भी किया गया था, लेकिन जबसे प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है तभी से सार्वजनिक उपक्रम यानि निगम-मंडलों की बाढ़ आ गई है। वहीं जानकारी के अनुसार, सरकार ने जिन उद्देश्यों के लिए निगम-मंडलों का गठन किया था, वे उस पर खरे नहीं उतरे। वर्तमान में उज्जैन स्मार्ट सिटी सहित प्रदेश में निगम-मंडलों की संख्या 73 है। इनमें से 41 निगम-मंडल पूरी तरह बंद होने की कगार पर हैं फिर भी सरकार इनमें अध्यक्ष- उपाध्यक्ष की नियुक्ति कर सरकारी खजाने को चूना लगाने की काम करती है। एक समय इन निगम- मंडलों को सफेद हाथी की संज्ञा दी जाती थी, मगर अब सरकार ने इनकी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया है। इसी का नतीजा है कि 2018-19 से 2022-23 के बीच 27 निगम-मंडलों में बेतहाशा भ्रष्टाचार हुआ है। यहां तक कि ये भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि कैग (सीएजी) भी राशि का खुलासा नहीं कर सका है। 2022-23 में इन निगम-मंडलों ने 95 हजार 645 करोड़ का कारोबार किया, लेकिन इसमें अकेले ऊर्जा क्षेत्र के उपक्रमों का 98 प्रतिशत योगदान है।