पीएम आवास योजना का मजाक….अभी तक घर के लिए नींव तक भी नहीं खोदी

दैनिक अवंतिका
उज्जैन। भले ही शहर या जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए हितग्राहियों को राशि दे दी गई हो लेकिन स्थिति यह है कि अधिकांश हितग्राही इस योजना का मजाक बनाते हुए मिली हुई राशि को अन्य जगह इस्तेमाल कर चुके है। स्थिति यह है कि लोगों ने घर के लिए नींव तक नहीं खोदी। यह हाल पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में भी सामने आया है।  सूत्र बताते हैं कि हितग्राहियों को नोटिस देकर काम शुरू कराने को कहा जाएगा, अगर काम शुरू नहीं किया तो वसूली का अल्टीमेटम दिया जाएगा।
न चरणों में सत्यापन की व्यवस्था
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों-बेघरों के खुद के आशियाने के सपने को पूरा करने के लिए जिस प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को शुरू किया था। उसे मप्र में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और योजना का लाभ लेने वाले हितग्राही किस तरह से पलीता लग रहा है, वो चौंकाने वाला है। जबकि योजना के तहत हितग्राही चयन में तीन चरणों में सत्यापन की व्यवस्था है। बावजूद इसके बाद भी इस तरह की गड़बडिय़ां नहीं रुक पाई है। जिसमें सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा, और भू-टैगिंग महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत जिले सहित  राज्य में 37.98 लाख आवासों को स्वीकृत प्रदान की गई है। 2016 से संचालित इस योजना का उद्देश्य 2024 तक उन बेघरों को आवास मुहैया कराना है, जो ग्रामीण परिवार बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मजदूर और बीपीएल परिवार, विधवा महिलाएं, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक शामिल है। जानकारी के अनुसार, आवास के लिए मिली राशि से कोई ने बीमारी, तो कोई बेटी की शादी करने की बात कह रहा। कई ऐसे हैं, जिन्होंने बेरोजगारी के कारण योजना की राशि जीवनयापन में खर्च कर दी। जिले सहित   प्रदेश में 13 हजार 285 हितग्राही ऐसे मिले हैं, जो आवास की राशि लेकर पलायन कर गये। इसके चलते 13 हजार 285 आवास अभी भी अधूरे हैं। इनकी गिनती स्थाई पलायन की सूची में की गई है। इसमें मजेदार बात यह कि पहले से बड़े आकार का मकान होने का हवाला देकर जिले सहि   11 हजार 460 लोगों ने आवास नहीं बनवाया है।