6 ब्लैक स्पॉट और कई अंधे मोड़—- ले ली सौ से अधिक लोगों की जान
उज्जैन। जिले में 6 ब्लैक स्पॉट और कई अंधे मोड़ हैं जहाँ पिछले सात महीनों में डेढ़ हजार से ज्यादा हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में करीब 135 लोगों की मौत हुई, वहीं 1000 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे में मरने वाले लोगों में ज्यादातर 25 साल से अधिक के युवा थे।
जिले में सड़क हादसों को देखते हुए यातायात विभाग द्वारा जिले में 6 ब्लैक स्पॉट चयनित किए गए हैं, लेकिन इन स्थानों पर दुर्घटनाओं को रोकने, कम करने के लिए कोई ठोस पहल और इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं। जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में हर बार ये गंभीर मुद्दा उठता है। यातायाात, परिवहन, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, एनएचएआई-एमपीआरडीसी के अधिकारियों को प्लान और सुधार के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन कोई काम ही नहीं होते। नतीजतन, बीते 7 माह में जिले में डेढ़ हजार से अधिक हादसे हुए हैं। इनमें 135 लोगों की मौत और 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। बारिश के मौसम में सड़क हादसों की संभावना और बढ़ जाती है। इसमें से सर्वाधिक दुर्घटनाएं इन्हीं ब्लैक स्पॉट्स पर ही हुई हैं। वैसे तो जिले में ऐसे कई स्पॉट हैं, जहाँ हादसे का खतरा अन्य स्थानों की तुलना में सबसे अधिक होता है। कहीं लेफ्ट टर्न समस्या बनी हुई है तो कहीं संकरे रोड या फिर क्रासिंग की वजह से हादसे हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में हुए हादसों के विश्लेषण के बाद ट्रैफिक पुलिस ने 8 ब्लैक स्पॉट और करीब 25 नए स्थान चिन्हित किए गए हैं। जहाँ आए दिन सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती रहती हैं। एक जानकारी के मुताबिक इनमें से अधिकांश मार्ग एमपीआरडीसी उज्जैन द्वारा बनाई गई है। हद तो यह है कि आए दिन हो रहे हादसे के बाद भी इस पर नियंत्रण के लिए किसी भी विभाग द्वारा कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं।