उज्जैन में आए थे इन्वेस्टर्स…अब यर्थाथ के धरातल पर कदम, नगरीय सीमा में औद्योगिक इकाईयों को प्रॉपर्टी टैक्स में मिलेगी छूट
उज्जैन। बीते मार्च की 1 और 2 तारीख को उज्जैन में इन्वेस्टर समिट हुई थी और इसमें आने वाले इन्वेस्टर्स ने उज्जैन के साथ ही एमपी के अन्य शहरों में औद्योगिक इकाइयों शुरू करने के लिए मंशा जताई थी और एमओयू भी साइन हो गए थे लेकिन अब सूबे की डॉ. मोहन यादव सरकार न केवल उज्जैन बल्कि पूरे प्रदेश में नगरीय निकाय सीमा में आने वाले औद्योगिक इकाईयों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने का ऐलान किया है।
यदि ऐसा होता है तो उज्जैन में बीते दिनों संपन्न हुइ्र इन्वेस्टर समिट यर्थाथ के धरातल पर कदम रखने जैसा होगा। अर्थात प्रॉपर्टी टैक्स में छूट मिलने से न केवल मौजूदा स्थापित इकाइयों को लाभ मिलेगा वहीं आने वाले समय में स्थापित होने वाले औद्योगिक इकाईयों को भी आकर्षित करेगा प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार अलग-अलग अधिनियमों में कई परिवर्तन कर रही है। नगरीय सीमा के भीतर आने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों से दोहरा कर वसूला जाता है। नगरीय निकाय भी संपत्ति कर(प्रॉपर्टी टैक्स) लेते हैं और उन्हें लीज रेंट भी देना होता है। औद्योगिक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नगरीय निकायों की सीमा के भीतर आने वाले औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने जा रही है। हालांकि, इनसे सेवा शुल्क लिया जाएगा, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना आधा होगा। इसके लिए टैक्स में छूट का प्रस्ताव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और वित्त विभाग से अभिमत लेकर कैबिनेट में अंतिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने के लिए सरकार नियमों को उद्योगों को अनुकूल बना रही है। अभी नगरीय क्षेत्र की सीमा में आने वाले औद्योगिक केंद्रों में स्थापित उद्योगों से संबंधित नगरीय निकाय प्रापर्टी टैक्स लेते हैं। इसके लिए उन्हें मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1956 और मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 में प्रावधान हैं। जबकि, वर्ष 2013 में सरकार मध्य प्रदेश निवेश क्षेत्र विकास और प्रबंधन अधिनियम में यह प्रावधान कर चुकी है कि औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित इकाइयों से प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसके बाद भी स्थानीय निकायों द्वारा न केवल टैक्स वसूला जा रहा है बल्कि न देने पर कार्रवाई भी हो रही है। विभिन्न औद्योगिक संगठन दोहरे कराधान को समाप्त करने की मांग सरकार से कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न औद्योगिक संगठनों के अलावा उद्योगपतियों से वन-टू-वन चर्चा भी कर रहे हैं। इसमें उन्होंने आश्वस्त किया है कि नियमों के कारण किसी उद्योगपति को प्रदेश में उद्योग लगाने में कठिनाई नहीं होगी। मुख्यमंत्री की पहल के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 163 और नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 132 के प्रावधान अनुसार उद्योगों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव तैयार किया है। सूत्रों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों से प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लिया जाएगा पर उन्हें सेवा शुल्क देना होगा। यह जलकर, स्वच्छता सहित अन्य सुविधाओं के लिए जो शुल्क देना होता है, वह अन्य क्षेत्रों की तुलना में आधा ही लगेगा।