आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस…पुराना है इतिहास
आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। भारत ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश में भी उज्जैन में हथकरघा उद्योगों का पुराना इतिहास रहा है। भारत में हथकरघा आजीविका का प्रमुख स्त्रोत है। यह दिन हथकरघा समुदाय और आर्थिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत 1905 में
7 अगस्त को ‘स्वदेशी’ आंदोलन की याद में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत साल 1905 में हुई थी। इसका मकसद विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार था। इस आंदोलन के चलते भारत के लगभग हर घर में खादी बनाने की शुरुआत हुई थी। हथकरघा उद्योग आज से नहीं, बल्कि काफी वक्त से हाथ के कारीगरों को रोजगार प्रदान करते आया है, लेकिन फिर भी इन कारीगरों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। 7 अगस्त, 2015 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था। तब से हर साल इस दिन को मनाया जा रहा है। 7 अगस्त 2024 को 10वां हैंडलूम-डे मनाया जा रहा है।
अर्थव्यवस्था में अहम योगदान
कृषि के बाद हथकरघा क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। देश के सामाजिक- आर्थिक विकास में हथकरघा के योगदान को बताने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है। साथ ही भारतीय बुनकरों और कर्मचारियों द्वारा बनाए गए सामानों को सराहना भी इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। फैशन शो, हैंडीक्रॉफ्ट एग्जीबिशन, सेमिनार और वर्कशॉप्स के जरिए लोगों को हथकरघा का महत्व बताने का प्रयास किया जाता है। हथकरघा प्रोडक्ट्स के डिजाइन्स और रंग उन्हें खास बनाने का काम करते हैं। हथकरघा उत्पादों की मांग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है।