आयुर्वेदिक चिकित्सकों की भी बढ़ रही है मांग
अमजन का रुझान अब ऐलोपैथी की जगह आयुर्वेदिक दवाओं की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी वजह से आयुर्वेदिक चिकित्सकों की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में सरकार ने भी तय किया है कि इस पद्धति की शिक्षा के लिए जरूरी आवश्यक कदम उठाए जाएं। यही वजह है कि अब प्रदेश सरकार पांच नए महाविद्यालय खोलने जा रही है। इससे प्रदेश में पांच सौ सीटों की वृद्धि हो जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा जमीन का आवंटन कर दिया गया है। इसके साथ ही इनके भवनों के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरु भी कर दी गई है।
महाविद्यालय नर्मदापुरम, बालाघाट, मुरैना, शहडोल और सागर में 2026 से शुरु करने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश में अभी सात सरकारी और 27 निजी आयुर्वेद कॉलेज संचालित हैं। निजी में फीस ज्यादा होने के कारण सरकारी कॉलेजों की ओर छात्रों का रुझान ज्यादा रहता है। इसके लिए आयुष विभाग ने 11 नए आयुर्वेद कॉलेज बनाने की योजना बनाई थी। यह सागर, नर्मदापुरम, शहडोल, धार, झाबुआ, मंडला, बालाघाट, मुरैना, शुजालपुर, श्योपुर और खजुराहो में शुरू किए जाने थे। इसके लिए आयुष आयुक्त सोनाली पोंक्षे वायंगणकर ने संबंधित कलेक्टरों को जमीन आवंटित करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन अभी पांच कॉलेजों के लिए पांच-पांच एकड़ जमीन आवंटित हुई है। पहले इनका काम शुरू कराया जा रहा है। आयुक्त के अनुसार इन पांच आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार से मदद मिल रही है। इन्हें 2026 से शुरू करने की योजना है। जल्द इनके भवन का निर्माण शुरू कराया जा रहा है। जिन स्थानों पर यह कॉलेज शुरू किए जा रहे हैं वहां पर अस्पताल भी अलग से बनाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि आयुर्वेदिक अस्पताल वहां पहले से संचालित हैं। कॉलेज की सीटों के अनुरूप अस्पताल का उन्नयन किया जाएगा। अभी मध्यप्रदेश में भोपाल, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर, उज्जैन, इंदौर व बुरहानपुर में कुल सात शासकीय आयुर्वेद कॉलेज संचालित हैं। बीएएमएस की 600 सीटें हैं। नए पांच कॉलेज शुरू होने के बाद 500 सीटें और बढ़ जाएंगी। इस प्रकार दो साल में प्रदेश में बीएएमएस की 1100 सीटें हो जाएंगी। पीजी सीटों में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।