महाकाल की चौथी सवारी में जनजाति लोक संस्कृति की झलक
उज्जैन। सावन मास में 12 अगस्त को निकलने वाली भगवान महाकाल की चौथी सवारी में धार के घासी जनजाति के कलाकार घसिया बाजा नृत्य की प्रस्तुति देंगे। यह पहला मौका है, जब सवारी में भक्तों को मध्य प्रदेश की जनजाति लोक संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार सवारी में नवाचार से नगरवासी भी खुश हैं। उन्हें पारंपरिक मंडलों की प्रस्तुति से इतर प्रदेश की लोक संस्कृति को देखने व जानने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है। सावन-भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी तीन दशक से पारंपरिक रूप से निकलती आ रही है। परंपरागत नौ भजन मंडल, झांझ डमरू दल तथा विभिन्न वेशभूषा में कुछ लोगों को भक्त सालों से देखते आ रहे हैं। यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार भक्तों व नगरवासियों को सवारी में धर्म के साथ लोक संस्कृति के रंग भी देखने को मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के इस निर्णय से सवारी के वैभव में वृद्धि की है। साथ ही उज्जैन ने डमरू वादन का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है।