सहकारी समितियों के चुनाव नहीं, संचालक मंडलों में होगी सदस्यों की नियुक्ति

सहकारिता नेताओं को सरकार करेगी उपकृत…

नियुक्तियों का मसौदा तय हुआ, प्रशासकों की विदाई होगी

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी अब सरकार चुनाव कराने के मूड में फिलहाल नहीं है और यही कारण है कि सूबे की मोहन सरकार संचालक मंडलों में सदस्यों की नियुक्ति करने वाली है और इसका मसौदा भी तैयार हो गया है। संचालक मंडलों का गठन होने के बाद समितियों में अभी तक पदभार संभालने वाले प्रशासकों की विदाई हो जाएगी।

सहकारी समितियों के चुनाव बार-बार टलने के बाद भाजपा ने समितियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए फॉमूर्ला तैयार कर लिया है। इस फॉमूर्ले के तहत अब सहकारी समितियों में प्रशासकों की जगह भाजपा नेताओं को पदस्थ किया जाएगा। इसको लेकर गत दिनों भाजपा कार्यालय में प्रदेश भर से आए सहकारी नेताओं ने प्रदेश संगठन के साथ बैठक कर मसौदा तैयार किया है। गौरतलब है कि प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव लंबे समय से नहीं हो पा रहे हैं। हाई कोर्ट के निर्देश पर इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हुई, लेकिन सदस्य सूची ही नहीं बन पाई, इसलिए चुनाव फिर टल गए हैं। खरीफ फसलों की बोवनी में किसानों के व्यस्त होने के कारण कार्य प्रभावित हुआ। उधर, हाईकोर्ट के दबाव में सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। इसके तहत निर्वाचन की बजाय संचालक मंडलों के सदस्य नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले सहित प्रदेश में वर्ष 2013 में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अपेक्स बैंक के चुनाव हुए थे। इसके बाद से प्रशासक ही पदस्थ हैं। सहकारिता चुनाव को लेकर सरकार पर अदालत का दबाव बना हुआ है। हाईकोर्ट के दबाव में सरकार ने जुलाई से सितंबर तक चार चरणों में चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित किया था।

करीब 55 हजार सहकारी समितियां
उज्जैन जिले सहित प्रदेश में कृषि सहित सभी क्षेत्रों में करीब 55 हजार सहकारी समितियां हैं। जिनमें 2018 से ही प्रशासक ही काम संभाल रहे हैं। प्रत्येक 5 वर्ष में चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। चुनाव न होने की सूरत में पहले 6 माह और फिर अधिकतम 1 वर्ष के लिए प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन यह अवधि भी बीत चुकी है। इसको लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने 26 जून से नौ सितंबर तक चार चरण में चुनाव का कार्यक्रम जारी किया था। जिसमें आठ, 11, 28 अगस्त और 4 सितंबर को मतदान प्रस्तावित था। सूत्रों का कहना है कि अभी सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती है इसलिए इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सदस्यता सूची तैयार न होने और खरीफ फसलों की बोवनी में किसानों की व्यस्तता का हवाला देकर चुनाव टाल दिए गए हैं।

Author: Dainik Awantika