नागपंचमी पर दो किलोमीटर से अधिक श्रद्धालुओं की लाईन अखंड रही लंबा रास्ता, घंटों का इंतजार,पल भर के दर्शन -श्रद्धालुओं को न पीने का पानी मिला न वाश रूम ही मिल सका
दैनिक अवंतिका उज्जैन उज्जैन। नागपंचमी पर वर्ष में एक बार 24 घंटे के लिए भगवान श्री नागचंदे्रशवर के पट गुरूवार-शुक्रवार मध्य रात्रि को खोले गए थे। भगवान के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की कतार देर शाम से ही लगने लगी थी। श्रद्धालुओं को करीब 2 किलो मीटर से ज्यादा का सफर इसके लिए करना पडा है। इसमें भी कतार की गति से घंटों इंतजार की स्थिति रही और भगवान के दर्शन पल भर के रहे हैं। इसके साथ ही व्यवस्थागत रूप से श्रद्धालुओं को आगे के लिए धकिया दिया गया।गुरूवार देर शाम से ही भगवान के दर्शनों को आतुर श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। इससे दर्शनों की लाईन अच्छी खासी लग चुकी थी। देर रात को श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडा के महंत विनित पुरी महाराज के साथ गणेशपुरी महाराज ने मंदिर के मुख्य द्वार का पूजन किया उसके बाद ताला खोला गया। ताला खोलने के उपरांत महंत के साथ श्रद्धालु एवं प्रशासनिक पुलिस अधिकारी तीसरे तल पर पहुंचे एवं वहां भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की 11 वीं शताब्दी की भित्ति प्रतिमा का जलाभिषेक के साथ पूजन किया गया। इसके उपरांत उपरी तल पर श्री नागचंद्रेश्वर महादेव का पूजन किया गया। दोपहर में भी यहां पर शासकीय पूजन किया गया ।दो किलोमीटर का मार्ग-श्रद्धालुओ के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर एवं श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए पृथक-पृथक मार्ग की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था के तहत करीब 2 किलोमीटर मार्ग पर श्रद्धालुओं को बेरिकेडस के तहत चलना पडा। इसमें श्रद्धालुओं की संख्या के आगे व्यवस्थाएं छोटी पड गई और काफी समय लग रहा था।नागचन्द्रेश्वर भगवान दर्शन व्यवस्था-भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को भील समाज धर्मशाला से प्रवेश देते हुए – गंगा गार्डन के समीप से – चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल जिगजेग- हरसिद्धी चैराहा – रूद्रसागर के समीप से – बड़ा गणेश मंदिर – द्वार नम्बर 04 अथवा 05 के रास्ते – विश्रामधाम – एरोब्रिज से होकर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर जी के दर्शन करवाए गए । दर्शन उपरांत श्रद्धालुओं को एरोब्रिज के द्वितीय ओर से- रेम्प- मार्बल गलियारा – नवनिर्मित मार्ग से – द्वार क्रमांक 04 के सम्मुख से – बड़ा गणेश मंदिर – हरसिद्धि चौराहा – नृसिंह घाट तिराहा होते हुए पुनः भील समाज धर्मशाला तक पहुंचाया गया।भगवान श्री महाकालेश्वर दर्शन व्यवस्था-भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संग्रहालय के समीप – सरफेस पार्किंग से प्रवेश कर – नंदीद्वार – श्री महाकाल महालोक – मानसरोवर भवन में प्रवेश कर – फेसेलिटी सेंटर-01 – मंदिर परिसर – कार्तिक मण्डपम् में प्रवेश कर, कार्तिक मण्डपम् – गणेश मण्डपम् से बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। दर्शन उपरांत बाहर की ओर प्रस्थान कर पुनः महाकाल महालोक एवं नीलकंठ पथ होते हुए अपने गंतव्य तक पहुँचेगे।साढे सात लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन –मंदिर समिति एवं प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए भगवान श्री महाकालेश्वर एवं श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए पृथक –पृथक व्यवस्था की थी । इस व्यवस्था के तहत देर शाम तक साढे सात लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक मृणाल मीणा के अनुसार भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन के लिए निर्धारित मार्ग से 2 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। इसी प्रकार भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए निर्धारित मार्ग से देर शाम तक साढे 5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। हेड काउंटिग के जरीये दोनों स्थानों का ये आंकडा सामने आया है।श्रद्धालु तरस गए पानी को-भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं को पीने का पानी मिलने में ही समस्या हो गई थी। देर रात से कतार में लगे श्रद्धालुओं को सुबह दर्शन हो सके। इसके चलते श्रद्धालु भूखे प्यासे ही लाईन में लगे रहे। कई स्थानों पर कतार के श्रद्धालुओं की गुहार पर प्रशासन एवं पुलिस के कर्मियों ने आसपास की दुकानों को सूचित कर पानी की बोतल बेचने के लिए आग्रह किया तब जाकर कुछ श्रद्धालुओं ने अपना गला तर किया।टायलेट का अभाव रहा-करीब 2 किलो मीटर के मार्ग में श्रद्धालुओं को बेरिकेडस के तहत ही रखा गया था। श्रद्धालुओं की कतार धीमें चलने के कारण काफी समय लग रहा था । ऐसे में कई श्रद्धालू लघु शंका को लेकर परेशान देखे गए। कुछ महिलाओं ने अधिक परेशानी के कारण अपने परिचितों को लाईन में लगाया और वे बाहर निकलकर इसके लिए जा सकी बाद में पून: उन्हें आने में सुरक्षाकर्मियों से किच-किच करना पडी।दिन में 4-5 घंटे लगे दर्शनों में-इधर देर रात से कतार में लगे श्रद्धालुओं को लगभग दो घंटे में दर्शन हो रहे थे। सुबह यह समय बढकर करीब 4 घंटे का हो गया और उसके बाद दोपहर में यह समय 4-5 घंटे तक जा पहुंचा था। इसके चलते कई श्रद्धालुओं को शारिरीक रूप से परेशानी भी उठाना पडी है। कई श्रद्धालु परेशान होते देखे गए। पूर्वान्ह के समय जयपुर से आई एक महिला श्रद्धालु कतार में ही बेहोश होकर गिर पडी थी।नागपंचमी पर दो किलोमीटर से अधिक श्रद्धालुओं की लाईन अखंड रहीलंबा रास्ता, घंटों का इंतजार,पल भर के दर्शनश्रद्धालुओं को न पीने का पानी मिला न वाश रूम ही मिल सकाउज्जैन। नागपंचमी पर वर्ष में एक बार 24 घंटे के लिए भगवान श्री नागचंदे्रशवर के पट गुरूवार-शुक्रवार मध्य रात्रि को खोले गए थे। भगवान के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की कतार देर शाम से ही लगने लगी थी। श्रद्धालुओं को करीब 2 किलो मीटर से ज्यादा का सफर इसके लिए करना पडा है। इसमें भी कतार की गति से घंटों इंतजार की स्थिति रही और भगवान के दर्शन पल भर के रहे हैं। इसके साथ ही व्यवस्थागत रूप से श्रद्धालुओं को आगे के लिए धकिया दिया गया।गुरूवार देर शाम से ही भगवान के दर्शनों को आतुर श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। इससे दर्शनों की लाईन अच्छी खासी लग चुकी थी। देर रात को श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडा के महंत विनित पुरी महाराज के साथ गणेशपुरी महाराज ने मंदिर के मुख्य द्वार का पूजन किया उसके बाद ताला खोला गया। ताला खोलने के उपरांत महंत के साथ श्रद्धालु एवं प्रशासनिक पुलिस अधिकारी तीसरे तल पर पहुंचे एवं वहां भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की 11 वीं शताब्दी की भित्ति प्रतिमा का जलाभिषेक के साथ पूजन किया गया। इसके उपरांत उपरी तल पर श्री नागचंद्रेश्वर महादेव का पूजन किया गया। दोपहर में भी यहां पर शासकीय पूजन किया गया ।दो किलोमीटर का मार्ग-श्रद्धालुओ के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर एवं श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए पृथक-पृथक मार्ग की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था के तहत करीब 2 किलोमीटर मार्ग पर श्रद्धालुओं को बेरिकेडस के तहत चलना पडा। इसमें श्रद्धालुओं की संख्या के आगे व्यवस्थाएं छोटी पड गई और काफी समय लग रहा था। नागचन्द्रेश्वर भगवान दर्शन व्यवस्था-भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को भील समाज धर्मशाला से प्रवेश देते हुए – गंगा गार्डन के समीप से – चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल जिगजेग- हरसिद्धी चैराहा – रूद्रसागर के समीप से – बड़ा गणेश मंदिर – द्वार नम्बर 04 अथवा 05 के रास्ते – विश्रामधाम – एरोब्रिज से होकर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर जी के दर्शन करवाए गए । दर्शन उपरांत श्रद्धालुओं को एरोब्रिज के द्वितीय ओर से- रेम्प- मार्बल गलियारा – नवनिर्मित मार्ग से – द्वार क्रमांक 04 के सम्मुख से – बड़ा गणेश मंदिर – हरसिद्धि चौराहा – नृसिंह घाट तिराहा होते हुए पुनः भील समाज धर्मशाला तक पहुंचाया गया।भगवान श्री महाकालेश्वर दर्शन व्यवस्था-भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संग्रहालय के समीप – सरफेस पार्किंग से प्रवेश कर – नंदीद्वार – श्री महाकाल महालोक – मानसरोवर भवन में प्रवेश कर – फेसेलिटी सेंटर-01 – मंदिर परिसर – कार्तिक मण्डपम् में प्रवेश कर, कार्तिक मण्डपम् – गणेश मण्डपम् से बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। दर्शन उपरांत बाहर की ओर प्रस्थान कर पुनः महाकाल महालोक एवं नीलकंठ पथ होते हुए अपने गंतव्य तक पहुँचेगे।साढे सात लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन –मंदिर समिति एवं प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए भगवान श्री महाकालेश्वर एवं श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए पृथक –पृथक व्यवस्था की थी । इस व्यवस्था के तहत देर शाम तक साढे सात लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक मृणाल मीणा के अनुसार भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन के लिए निर्धारित मार्ग से 2 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। इसी प्रकार भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए निर्धारित मार्ग से देर शाम तक साढे 5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। हेड काउंटिग के जरीये दोनों स्थानों का ये आंकडा सामने आया है। श्रद्धालु तरस गए पानी को- भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं को पीने का पानी मिलने में ही समस्या हो गई थी। देर रात से कतार में लगे श्रद्धालुओं को सुबह दर्शन हो सके। इसके चलते श्रद्धालु भूखे प्यासे ही लाईन में लगे रहे। कई स्थानों पर कतार के श्रद्धालुओं की गुहार पर प्रशासन एवं पुलिस के कर्मियों ने आसपास की दुकानों को सूचित कर पानी की बोतल बेचने के लिए आग्रह किया तब जाकर कुछ श्रद्धालुओं ने अपना गला तर किया टायलेट का अभाव रहा-करीब 2 किलो मीटर के मार्ग में श्रद्धालुओं को बेरिकेडस के तहत ही रखा गया था। श्रद्धालुओं की कतार धीमें चलने के कारण काफी समय लग रहा था । ऐसे में कई श्रद्धालू लघु शंका को लेकर परेशान देखे गए। कुछ महिलाओं ने अधिक परेशानी के कारण अपने परिचितों को लाईन में लगाया और वे बाहर निकलकर इसके लिए जा सकी बाद में पून: उन्हें आने में सुरक्षाकर्मियों से किच-किच करना पडी।दिन में 4-5 घंटे लगे दर्शनों में-इधर देर रात से कतार में लगे श्रद्धालुओं को लगभग दो घंटे में दर्शन हो रहे थे। सुबह यह समय बढकर करीब 4 घंटे का हो गया और उसके बाद दोपहर में यह समय 4-5 घंटे तक जा पहुंचा था। इसके चलते कई श्रद्धालुओं को शारिरीक रूप से परेशानी भी उठाना पडी है। कई श्रद्धालु परेशान होते देखे गए। पूर्वान्ह के समय जयपुर से आई एक महिला श्रद्धालु कतार में ही बेहोश होकर गिर पडी थी।महापौर भी पहुंचे-भगवान नागचंदेश्वर के दर्शन हेतु आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उज्जैन नगर पालिक निगम द्वारा की गई व्यवस्थाओं को देखने के लिए महापौर मुकेश टटवाल भी पहुंचे थे। उन्होंने निगम अधिकारियों के साथ कर्कराज पार्किंग, झालरिया मठ, चारधाम मंदिर, शेर चौराहा, बड़ा गणेश मंदिर सहित महाकाल क्षैत्र का निरीक्षण किया । श्रद्धालुओं के लिए पेयजल व्यवस्था, सफाई व्यवस्था, चलित शौचालय, नियंत्रण कक्ष की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थी। कर्कराज मंदिर पार्किंग स्थल को सुव्यवस्थित करने हेतु 50 से अधिक डंपर गिट्टी, मुरम, चूरी डाली जाकर पार्किंग स्थल का समतलीकरण किया गया है। शहर के आठ प्रमुख स्थलो नानाखेड़ बस स्टेण्ड, देवास गेट बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, त्रिवेणी संग्राहालय पार्किंग, कर्कराज पार्किंग, भील समाज धर्मशाला पार्किंग, हरिफाटक ब्रिज के नीचे तथा हरिफाटक मन्नतगार्डन पार्किंग स्थल के पास नियंत्रण कक्ष बनाए गए थे।महापौर भी पहुंचे- भगवान नागचंदेश्वर के दर्शन हेतु आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उज्जैन नगर पालिक निगम द्वारा की गई व्यवस्थाओं को देखने के लिए महापौर मुकेश टटवाल भी पहुंचे थे। उन्होंने निगम अधिकारियों के साथ कर्कराज पार्किंग, झालरिया मठ, चारधाम मंदिर, शेर चौराहा, बड़ा गणेश मंदिर सहित महाकाल क्षैत्र का निरीक्षण किया । श्रद्धालुओं के लिए पेयजल व्यवस्था, सफाई व्यवस्था, चलित शौचालय, नियंत्रण कक्ष की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थी। कर्कराज मंदिर पार्किंग स्थल को सुव्यवस्थित करने हेतु 50 से अधिक डंपर गिट्टी, मुरम, चूरी डाली जाकर पार्किंग स्थल का समतलीकरण किया गया है। शहर के आठ प्रमुख स्थलो नानाखेड़ बस स्टेण्ड, देवास गेट बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, त्रिवेणी संग्राहालय पार्किंग, कर्कराज पार्किंग, भील समाज धर्मशाला पार्किंग, हरिफाटक ब्रिज के नीचे तथा हरिफाटक मन्नतगार्डन पार्किंग स्थल के पास नियंत्रण कक्ष बनाए गए थे।