लोकसभा बाद होनी थी नीलामी प्रक्रिया जप्त वाहनों का कब्रिस्तान बने शहर के थाना परिसर

दैनिक अवन्तिका  उज्जैन। शहर के थाना परिसर इन दिनों जप्त वाहनों का कब्रिस्तान बने दिखाई दे रहे है। वाहनों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि एक के ऊपर एक चढ़ा कर रखने पड़ रहे है। सालों से खड़े वाहन तो जमीन में धंस चुके है। लोकसभा चुनाव बाद नीलामी होना थी, लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
घटना-दुर्घटना के साथ अपराधों में पुलिस द्वारा जप्त किये जाने वाले वाहनों को थाना परिसर में खड़ा कर दिया जाता है। शहर के सभी थाना परिसर में इन दिनों 30 से 40 साल पुराने जप्त वाहन खड़े हुए है। वर्तमान में भी जप्त वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक वाहनों की संख्या थाना चिमनगंज परिसर में है। जहां वाहनों का कब्रिस्तान देखा जा सकता है। परिसर के एक हिस्से में खड़े वाहनों के आसपास मिट्टी का ढेर भी लगा हुआ है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वाहनों को दफन किया जा रहा है। नीलगंगा थाना परिसर में जगह नहीं होने पर वाहनों को एक के ऊपर एक चढ़ा दिया गया है। शहर के अन्य थानों में भी जप्त वाहनों को खड़ा रखने की जगह दिखाई नहीं दे रही है। नानाखेड़ा थाना परिसर में तो जगह नहीं होने पर सड़क मार्ग के किनारे थाने के आसपास खड़ा किया जा रहा है। जिस पर थाना पुलिस भी ध्यान नहीं दे पाती है। ऐसे में जप्त वाहनों के चोरी होने का अंदेशा भी बना हुआ है। कोरोना काल से पहले सालों से जप्त वाहनों की नीलामी प्रक्रिया किये जाने की बाते पुलिस विभाग से सामने आती रही है। लेकिन अब तक कोई निराकरण नहीं हो पाया है। फरवरी माह में एसपी का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रदीप शर्मा ने शहर के थानों का भ्रमण किया था। उन्होने भी लोकसभा चुनाव के बाद वाहनों की नीलामी प्रक्रिया की बात कहीं थी। अब तक नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। कई थाना परिसरों में हालत ऐसे है कि पुलिसकर्मियों को अपने वाहन थानों के बाहर खड़े करना पड़ते है।