रहस्यों से भरा हुआ है ब्रह्मांड
जब 60 साल पहले नासा की शुरुआत हुई थी, तब हमारे मन में ब्रह्मांड के बारे में ऐसे सवाल थे जो मनुष्य तब से पूछ रहे थे जब से हमने पहली बार रात के आसमान को देखा था। तब से लेकर अब तक के छह दशकों में, नासा ने अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों और हज़ारों शोधकर्ताओं के साथ मिलकर दूरबीनों और उपग्रहों के एक पूरे बेड़े का उपयोग करके ब्रह्मांड के बारे में हमारे ज्ञान का विस्तार किया है। 1950 और 1960 के दशक की शुरुआती जांच से लेकर 1990 और 21वीं सदी की महान दूरबीनों तक, नासा के वैज्ञानिक बिग बैंग से लेकर वर्तमान तक ब्रह्मांड के विकास की खोज कर रहे हैं।
ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है। ब्रह्मांड में अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं। उन आकाशगंगाओं में अरबों तारे हैं, उन तारों के चारो ओर पृथ्वी जैसे खरबों ग्रह चक्कर लगा रहे हैं। यदि इस आधार पर पृथ्वी के अस्तित्व को आंका जाए, तो उसकी पहचान रेगिस्तान में रेत के एक कण से भी कम है। जिस प्रकार ब्रह्मांड को अनंत कहा जाता है, उसी प्रकार इसके रहस्य भी अनंत और अनगिनत हैं। बड़ा सवाल यह आता है कि यह ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया? इसकी शुरुआत कैसे हुई? ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में वैज्ञानिकों ने अनेक थ्योरियां दी हैं। आधुनिक समय में सबसे प्रचलित थ्योरी ‘बिग बैंग थ्योरी’ है, जिसके सहारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में बताने का प्रयास किया जाता है। बेल्जियम के खगोलविद जार्ज हेनरी लेमैत्रे ने बिग बैंग सिद्धांत को दिया था। इस थ्योरी के अनुसार करीब साढ़े चौदह अरब साल पहले ब्रह्मांड का संपूर्ण द्रव्यमान और ऊर्जा एक सूक्ष्म बिंदु के रूप में सघनभूत था। उस बिंदू में जोरदार विस्फोट हुआ और ब्रह्मांड की रचना हुई। इस बिग बैंग यानी बड़े विस्फोट के साथ समय, मैटर और स्पेस अस्तित्व में आए। इस थ्योरी के अनुसार बिग बैंग की घटना के बाद से ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है। अभी तक खगोलविद ब्रह्मांड की विशालता को लेकर कोई सटीक जानकारी दे पाएं हैं। ब्रह्मांड की अनंनता और सीमा के बारे में भी वैज्ञानिकों के अलग-अलग दावे हैं। ब्रह्मांड की अनंनता के विरोध में तर्क देने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि अनंनता का सिद्धांत भौतिक जगत में संभव नहीं है। इस भौतिक ब्रह्मांड की कोई न कोई सीमा अवश्य होगी। वहीं, अनंनता का समर्थन करने वाले वर्ग का दावा है कि यदि ब्रह्मांड की सीमा है तो उस सीमा के पार भी कुछ जरूर होगा। क्योंकि, एक सीमा का निर्धारण करते वक्त दूसरी सीमा स्वतः प्रारंभ हो जाती है, जोकि स्वतः ही ब्रह्मांड की अनंनता की पुष्टि करता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 150 बिलियन्स आकाशगंगाओं की मान्यताओं को खारिज करते हुए कहा है कि ब्रह्मांड की यह कल्पना ब्रह्मांड के विस्तार के सामने एक मटर के दाने के समान है यह ब्रह्मांड इस कल्पना से कहीं अधिक विस्तृत है। अंततः कहा जा सकता है कि मौजूदा विज्ञान अभी ब्रह्मांड के विशालता के बारे में अभी तक कोई सटीक जानकारी नहीं दे पाया है।