कॉलेजों में प्रवेश को लेकर रूचि कम….रिक्त पड़ी हुई है सीटें, फिर से शुरू हो सकती है काउंसलिंग…निजी कॉलेजों को भी नुकसान
एक मई से छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की गई थी
दरअसल, इस बार नए सत्र के लिए एक मई से छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके तहत दो मुख्य और तीन सीएलसी राउंड समाप्त हो चुके हैं। उज्जैन जिले सहित प्रदेश में यूजी की 8.19 सीटों में से महज 3.44 लाख सीट भरी हैं। वहीं पीजी की 2.12 लाख सीटों में से केवल 97 हजार सीट पर ही प्रवेश हुए हैं। इसमें प्राइवेट कॉलेजों की स्थिति सबसे खराब है। यह एडमिशन में अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। विभाग को उम्मीद थी कि यूजी में चौथे साल में रजिस्ट्रेशन और एमपी बोर्ड की 12वीं के सप्लीमेंट्री एग्जाम में पास स्टूडेंट्स के प्रवेश लेने के बाद अतिरिक्त राउंड में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी, लेकिन इस राउंड में भी बहुत अधिक प्रवेश नहीं हुए। हालांकि इसके पीछे दिए जाने वाले तर्क में कहा जा रहा है कि 12वीं में उत्र्तीण विद्यार्थियों की संख्या कम रहने के कारण प्रवेश कम हुए हैं। प्रत्येक वर्ष सरकारी कॉलेजों की अधिकांश सीटें भर जाती हैं, जबकि निजी कॉलेजों में विद्यार्थियों का रुझान कम रहता है। इस संबंध में विशेषज्ञ का कहना है कि सरकारी कॉलेजों में हर सत्र में प्रवेश की स्थिति बेहतर रहती है। निजी कॉलेजों के कारण कुल सीटों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन वहां फीस अधिक होने और सुविधाएं कम होने के कारण प्रवेश संख्या कम रह जाती है।