फसलों का होगा डिजिटल सर्वेक्षण, सरकार ने बनाया प्लान

सरकार ने खरीफ सीजन 2023 से 12 राज्यों में पायलट आधार पर डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) शुरू किया है, जिसका उद्देश्य फसल बोए गए आंकड़ों के लिए एकल और सत्यापित स्रोत बनाना है.   एक सवाल का जवाब देते हुए बताया गया कि सरकार नियमित डिजिटल फसल सर्वेक्षण करके अपनी कृषि सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत करने की योजना बना रही है, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि मंत्रालय ने क्षेत्र गणना और उपज अनुमान की प्रणाली को आधुनिक बनाने और फसल उत्पादन अनुमान लगाने में सक्षम बनाने के लिए डीसीएस और डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) जैसी पहल की हैं.

रामनाथ ठाकुर ने कहा कि डीसीएस डेटा फसल क्षेत्र के सटीक आकलन और अलग-अलग किसान केंद्रित समाधानों के विकास के लिए उपयोगी है. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण डीसीएस संदर्भ एप्लिकेशन के माध्यम से सक्षम है जो ओपन सोर्स है और इसमें कृषि भूमि की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए जियोग्राफिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) प्रौद्योगिकियों के साथ भू-संदर्भित कैस्ट्रल मानचित्र जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. डीजीसीईएस फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) के सिद्धांतों पर आधारित एक सावधानीपूर्वक तैयार की गई सर्वेक्षण पद्धति का उपयोग करता है. जीसीईएस मोबाइल एप्लिकेशन और पोर्टल की शुरुआत ने सीसीई परिणामों को सीधे क्षेत्र से रिकॉर्ड करने के लिए एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत की थी. जीपीएस-सक्षम फोटो कैप्चर और स्वचालित प्लॉट जैसी नवीन सुविधाओं के साथ लाया गया है. उन्होंने कहा कि इस प्रगति से प्रणाली में पारदर्शिता और सटीकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. एमएसपी पैनल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दों की समीक्षा के लिए समिति के गठन पर एक अलग प्रश्न के उत्तर में ठाकुर ने कहा कि सरकार ने जुलाई 2022 में एक समिति का गठन किया था, जिसमें किसानों, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों और प्रख्यात कृषि अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों को शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि समिति का कार्य प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर किसानों को MSP उपलब्ध कराने के लिए सुझाव देना और व्यावहारिक रूप से कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को अधिक स्वायत्तता देना और इसे अधिक वैज्ञानिक बनाने के उपाय करना है. समिति का काम देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करना भी है, ताकि घरेलू और निर्यात अवसरों का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्यों के माध्यम से अधिक मूल्य सुनिश्चित किया जा सके.