षडयंत्रपूर्वक रचा था चाकूबाजी का मामला पुलिस को पैसों का आॅफर देकर दर्ज कराना चाहते थे केस
दैनिक अवंतिका उज्जैन। मैजिक मालिक और चालक के साथ हुई चाकूबाजी का मामला फर्जी होना सामने आया है। ब्याजखोरी करने वाले ने षडयंत्र रचा था, वहीं जानलेवा हमला करने के आरोप में 3 भाईयों को फंसाने के लिये पुलिस को पैसों का आॅफर भी दे दिया था। सोमवार रात को रंजीत हनुमान मंदिर के पास से गोलामंडी में रहने वाले प्रथम शर्मा और बेगमबाग निवासी फिरोज खान को गोलू उर्फ दीपक परिहार निवासी ढांचा भवन जिला अस्पताल लेकर पहुंचा था। दोनों को चाकू लगे थे। प्रथम शर्मा पर 4 अगस्त की रात चामुंडा माता चौराहा पर भी चाकू से हमला हुआ था। महाकाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। इस दौरान घायलों के एक साथी ने महाकाल पुलिस के जवान से संपर्क किया और रूपयों का आॅफर देते हुए अरुण नाथ, लाखन नाथ और अनिल नाथ पर प्राणघातक हमले की धारा में प्रकरण दर्ज करने की बात कहीं। पुलिस को मामले में संदेह हुआ तो जांच शुरू की गई। जिन पर चाकू मारने का आरोप लगाया गया पुलिस उन तक पहुंची तो सामने आया कि वह घर पर ही मौजूद थे। पुलिस ने घायलों से सख्ती के साथ पूछताछ की। दोनों टूट गये और बताया कि उन्होने तीनों नाथ भाईयों को झूठे केस में फंसाने के लिये चाकूबाजी का षडयंत्र रचा था। आपस में चाकूबाजी की गई और शिकयत दर्ज कराने जीवाजीगंज थाने पहुंचे थे। जहां से मामला महाकाल का होने पर संबंधित थाने पर शिकायत दर्ज कराने और अस्पताल में उपचार करने की बात कहकर लौटा दिया था। महाकाल थाना प्रभारी अजय वर्मा ने बताया कि जांच में आये तथ्यों से चाकूबाजी का मामला फर्जी होना सामने आया। मामले में घायल प्रथम शर्मा, फिरोज खान के साथ जीतू उर्फ जितेन्द्र निवासी चिमनगंज क्षेत्र, दीपक उर्फ गोलू निवासी ढांचा भवन, इलियास लाला और बाला निवासी पिपलीनाका के खिलाफ धारा 109 (1), 231, 61 (2), 217, 229 बीएनएस में प्रकरण दर्ज किया गया है। थाना प्रभारी के अनुसार जीतू उर्फ जितेन्द्र ब्याज से रूपये चलाता है। पूर्व में उसने अरूण नाथ को 1 लाख रूपये दिये थे। जिसका काफी समय से ब्याज भी वसूल रहा है। अरूण ब्याज सहित रूपये दे चुका था, उसके बाद भी रूपये देने का दबाव बनाया जा रहा था। जिसके चलते उसने अपने दोस्त मैजिक मालिक फिरोज और चालक प्रथम के साथ मिलकर योजना बनाई थी। 4 अगस्त को हुई प्रथम के साथ चाकूबाजी में देवासगेट पुलिस ने अरूण, अनिल और लाखन को गिरफ्तार किया था जिन्हे जमानत पर छोड़ा गया था, उस वक्त भी तीनों ने मामला झूठा होने की बात कहीं थी, लेकिन गंभीरता से जांच नहीं हो पाई थी।