इंदौर में चांदीपुरा वायरस से संदिग्ध मरीज की मौत
इंदौर। इंदौर जिले के एक निजी अस्पताल में चांदीपुरा वायरस के संदिग्ध मरीज की शनिवार को मौत हो गई। खरगोन सीएमएचओ डॉ. एमआर सिसोदिया ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि करीब 7 दिन पहले उसके सैंपल जांच के लिए पुणे लैब भेजे गए थे। जिसकी अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है। अगर रिपोर्ट आने पर इस मामले की पुष्टि होती है तो चांदीपुरा वायरस का मध्य प्रदेश में यह पहला केस होगा।
जानकारी के मुताबिक, मामला कसरावद क्षेत्र के पीपलगोन का है। खरगोन निवासी 22 वर्षीय युवक को 6 अगस्त को इंदौर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। इस मामले को लेकर इंदौर स्वास्थ्य विभाग ने खरगोन सीएमएचओ को सूचना दी। सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने बताया कि इलाज के दौरान युवक ने दम तोड़ दिया। युवक में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण समान लक्षण पाए गए थे, जिसके बाद उसके नमूने को जांच के लिए 10 अगस्त को पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान को भेजा गया था। युवक की मौत के बाद सीएमएचओ ने कहा- जांच में युवक में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण नहीं मिला। फिलहाल, रिपोर्ट आने का इंतजार है।
नाम कैसे पड़ा नाम
साल 1966 में पहली महाराष्ट्र में इससे जुड़ा केस रिपोर्ट किया गया था। नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी। उस समय 15 साल तक के बच्चों की रहस्यमयी मौतें हुई थीं। बाद में पता चला कि इन मौतों की वजह कोई वायरस ही था, तभी से इस वायरस का नाम ‘चांदीपुरा’ पड़ गया। इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया। चांदीपुरा वायरस से 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।
बचाव कैसे करें
मच्छर और सैंडफ्लाई से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
स्किन को ढकने वाले कपड़े पहनें।
सैंडफ्लाई के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें।
बच्चों को नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं।