खुसूर-फुसूर कुत्ता भगाने में नाकाम सुरक्षा गार्ड, श्रद्धालू भगाने में कामयाब

दैनिक अवंतिका  खुसूर-फुसूर

कुत्ता भगाने में नाकाम सुरक्षा गार्ड, श्रद्धालू भगाने में कामयाब

शेम…शेम … एक बार हो तो उसे संयोग कहा जा सकता है दो बार हो तो उसे योग कहा जा सकता है और अगर कई बार हो तो उसे संयोग,योग नहीं कुछ और कहा जाता है। पिछले दो दिनों में जो वायरल विडियो सामने आए हैं उन्हें अगर गौर से देखा जाए तो … यही कहा जाना उचित होगा कि मोक्षदायिनी शिप्रा जी में इस मानसून में जो भी जितना भी पानी आया है काफी है। यकीन नहीं होता कि कुछ माह पहले जो गार्ड सबकी आस्था के मंदिर में मारपीट करते हुए सामने आते हैं और श्रद्धालू भी हाथ पैर चलाता हुआ विडियो वायरल होता है। घटना के बाद देश भक्ति जन सेवा के विभाग ने गार्डों को श्रद्धालुओं के साथ व्यवहार का प्रशिक्षण भी दिया था। वहीं बाबा के कोतवाल के घर के सामने फिर बीती हरकत से भी बदतर हरकत करते विडियो में कैद होते हैं। इस विडियों में श्रद्धालु कोई मारपीट करता नहीं दिखाई देता है। एक शार्ट विडियो जारी किया जाता है उसमें श्रद्धालू को कथित छेडछाड का आरोपी बनाने की कथित कोशिश होती है। फूल विडियों में गार्ड की तमाम गलतियां सामने आती है और श्रद्धालु की मुश्किल से एक आध। आक्रोशित माहौल में भी पूरे समय श्रद्धालू किसी का गला पकडते और किसी को चांटा मारते नहीं दिख रहा है सिर्फ अपना बचाव करता दिख रहा है। खास तो यह है कि जो गार्ड बाबा के मंदिर में लडते हुए कुत्तों को भगाने में नाकाम,नाक्कारा हो रहे हैं वे श्रद्धालुओं पर हमले के समय किस तरह से एक्टिव होकर गैंग की तरह एकमत होकर मारपीट कर रहे हैं। इसे शर्मनाक न कहा जाए तो और क्या कहा जाए। कथित श्रद्धालू पर छेडछाड का आरोप लगाना आसान है उसके लिए पिडित पक्ष जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो शिकायत नहीं करना चाहती थी तो ऐसा भी लिखवा कर कोतवाल महाराज की मंदिर प्रबंध समिति ने नहीं लिया । ऐसे में कथित श्रद्धालू पर आरोप की झडी लगाना किसी भी सिरे से जायज नहीं कहा जा सकता है। घुटना पेट की तरफ झुकता है ये कहावत चरितार्थ करते हुए एक गठबंधन की तरह से जिस तरह व्यवस्थाएं अंजाम दी जा रही हैं उन पर ही सवाल खडे हो रहे हैं। कोतवाल जी के मंदिर में महिला पुरूषों की पृथक-पृथक लाईन की व्यवस्था थी ? फिर कथित पुरूष उस तरफ कैसे घूसा ? नहीं थी तो क्यों नहीं थी ? और लाईन में लगने के मुहाने पर लगा गार्ड क्या कर रहा था ? खुसूर-फुसूर है कि अगर इसी तरह से सुरक्षा गार्डों को लेकर एक पक्षीय स्थिति बनी रही तो पूर्व में जो कांड हुए हैं जो कि पुलिस रेकार्ड में दर्ज हैं उनसे भी आला दर्जे को ये अंजाम देने से नहीं हिचकेंगे, इनके काम करने का गैंग वाला अंदाज इस बात को प्रमाणित कर रहा है। किसी दिन इनकी इस तरह की गलती गैंगवार के हालात और श्रद्धा के केंद्रो पर अराजकता की स्थिति निर्मित कर सकती है। कुत्ता भगाने में नाकाम अभी तो श्रद्धालू भगाने का काम अंजाम दे रहे हैं। हो तो ये भी सकता था कि इतने सारे गार्ड संबंधित को पकड कर सीधे लाईन से बाहर तक छोडकर आ जाते। न विडियो बनता और बनता तो भी एक संस्कारित स्थिति का जैसा दो दिन पहले मंदिर में भस्मार्ती के दौरान एक दर्जन लोगों से निक्कर निकलवाए गए और विरोध को भी सहज रूप से ही निपटाया गया। यहां तक की एक दर्जन लोगों ने दर्शन भी सोला और गमछे में किए ,  फिर यहां क्यों ऐसा नहीं हो सका ?