केंद्र की राजनीति में जा सकते हैं ये दिग्गज नेता

मध्यप्रदेश की एक मात्र राज्यसभा सीट के लिए तीन सितंबर को चुनाव होने वाला है। इस सीट पर मध्यप्रदेश सहित देश के कई दिग्गज नेता भी कतार में हैं। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद भी दावेदार हैं, जो अपने-अपने स्तर पर दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश से केंद्र की राजनीति में कौन जाएगा, इसे लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है। इस बार भी भाजपा कोई चौंकाने वाला नाम ला सकती है।

मध्यप्रदेश में 3 सितंबर को एक मात्र राज्यसभा सीट पर चुनाव होने वाला है। इस सीट पर पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। सिंधिया लोकसभा चुनाव जीतकर गए हैं, इसलिए उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है। इस पर काफी समय से दिग्गजों के नाम चर्चाओं में हैं। इनमें मध्यप्रदेश के ही दिग्गज नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और जयभान सिंह पवैया के नाम भी चर्चाओं में है। क्या भाजपा इस बार भी अचानक कोई नया नाम लाकर सभी को चौका सकती है, इस पर भी अटकलें लगना तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मध्यप्रदेश के जरिए राज्यसभा में भेजा जा सकता है। क्योंकि भाजपा को विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए एक तेज तर्रार महिला की जरूरत है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव हार गई थी। भाजपा स्मृति को मुख्य धारा में फिर से ला सकती है। इसलिए सबसे चौंकाने वाला नाम स्मृति का हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बारे में किसी प्रकार की कोई पुष्टि नहीं हुई है। मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र सरकार के प्रवक्ता भी रहे हैं। वे पिछले कुछ समय से भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के संयोजक भी है। उनके रहते कई कांग्रेस नेता टूटकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वे बेबाकी से जवाब देने में भी माहिर हैं। इसलिए नरोत्तम मिश्रा को भी प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है। नरोत्तम मिश्रा अमित शाह के करीबी माने जाते हैं और उनके राज्यसभा में जाने पर विपक्ष को जवाब देने वाला एक दमदार नेता भाजपा को मिल सकता है। सिंधिया से पहले गुना-शिवपुरी से सांसद रहे केपी यादव को इस बार टिकट नहीं दिया गया था, यह टिकट सिंधिया को मिला था। सिंधिया जीत गए और उनकी सीट खाली हो गई। अब इस सीट पर केपी यादव भी दावेदार हो सकते हैं। केपी यादव की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान केपी यादव को राज्यसभा के जरिए सांसद बनाने का आश्वासन दिया था। अमित शाह ने कहा था कि भविष्य में हम केपी सिंह यादव की सेवाएं केंद्र की राजनीति में लेंगे। इसी बयान को राज्यसभा के लिए संकेत के रूप में देखा जा रहा है।