इंदौर पीथमपुर इकोनॉमी कॉरिडोर, दावे आपत्तियों की सुनवाई पूरी, जमीनों का खसरा प्लान जारी

इंदौर। इंदौर पीथमपुर इकोनॉमी कॉरिडोर के निर्माण को लेकर प्रक्रिया अब तेजी से शुरू हो गई है। हाल ही में एमपीआईडीसी ने न केवल 3200 एकड़ जमीनों को लेकर दावे आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया को पूरा किया वहीं जमीनों को लेकर खसरा प्लान भी जारी कर दिया गया है।

फिलहाल तीन विकल्पों पर चर्चा

आपत्तियों का निराकरण किया गया और उसके पश्चात 17 गांवों  की इन जमीनों का खसरा प्लान भी जारी कर दिया है। मुआवजे के लिए फिलहाल तीन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, जिस पर अंतिम निर्णय शासन स्तर पर ही लिया जाएगा, क्योंकि अभी जिन दावे-आपत्तियों का निराकरण किया गया है उनके जमीन मालिक 15 दिन में शासन के समक्ष अपील कर सकेंगे, जिस पर 45 दिन में निर्णय लेना होगा और उसके बाद फिर ड्राफ्ट का प्रकाशन करने के बाद फिर से दावे-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी करना होगी, जिसमें अभी 3 से 4 माह का समय लग जाएगा। जमीन अधिग्रहण के खिलाफ एक तरफ किसानों का विरोध चल रहा है, दूसरी तरफ पीथमपुर सेक्टर-7 में स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप भी एमपीआईडीसी ला रहा है, तो 20 किलोमीटर लंबाई में बनने वाले इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर का मेगा प्रोजेक्ट भी अमल में लाया जाना है। 75 मीटर चौड़ा यह कॉरिडोर रहेगा और इसी से जोड़ते हुए प्राधिकरण ने अहिल्या पथ का अपना प्रोजेक्ट तैयार किया है, ताकि आवागमन सुगम हो सके। इस कॉरिडोर का एक सिरा इंदौर के नैनोद से, तो दूसरा सिरा सोनवाय, टीही और धन्नड़ ड्रायपोर्ट से जुड़ेगा। कॉरिडोर के दोनों तरफ 300-300 मीटर में आने वाली जमीन ली गई हैं।

17 गांवों की जमीन शामिल हैं

इस कॉरिडोर में 17 गांवों की जमीन शामिल हैं और एमपीआईडीसी की कार्यकारी संचालक सपना अनुराग जैन का कहना है कि 859 दावे-आपत्तियों की सुनवाई करने के बाद खसरा प्लान जारी कर दिया है और 17 गांवों में किन-किन खसरों की जमीन इस कॉरिडोर में आ रही है उनका नोटिफिकेशन भी हो गया है। अब जमीन मालिक शासन के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकेंगे। श्रीमती जैन के मुताबिक इन 17 गांवों में कोर्डियाबर्डी, नैनोद, रिजलाय, बिसनावदा, नावदापंथ, श्रीराम तलावली, सिंदौड़ा, सिंदौड़ी, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही और धन्नड़ इसमें शामिल हैं। जमीन मालिकों को मुआवजा किस फॉर्मूले से दिया जाएगा इसका अंतिम निर्णय तो शासन स्तर पर होगा मगर फिलहाल तीन विकल्पों पर चर्चा चल रही है और जमीन मालिकों के साथ सहमति भी एमपीआईडीसी के अधिकारियों द्वारा बनाई जा रही है।