द्रौपदी और श्रीकृष्ण से क्या है रक्षाबंधन का रिश्ता

रक्षाबंधन से जुड़ी एक कथा महाभारत काल की है, जब कृष्ण की उंगली पर चोट लगी और द्रौपदी ने अपना आंचल फाड़कर उसे बांध दिया। श्रीकृष्ण ने इसका प्रतिफल अक्षय चीर से उनकी लाज बचाकर दिया।  राजा बलि और देवी लक्ष्मी से भी रक्षाबंधन को जोड़ा जाता है, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु को पाताल लोक में रहने के लिए मना लिया था। तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उपहार स्वरूप भगवान श्रीहरि को वापस मांग लिया था। एक कथा राजा इंद्र से जुड़ी है, जिसमें वे राक्षसों से हारने लगे, तब गुरु बृहस्पति ने पत्नी शचि से इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बंधवाया, जिसके बाद इंद्र राक्षसों को पराजित कर सकें।

क्या है यमराज से रिश्ता?
रक्षासूत्र कलाई में उस जगह बांधा जाता है, जहां हमारी सभी नसें आकर मिलती हैं। यहां दबाव पड़ने से हम स्वस्थ रहते हैं और दिमाग चैतन्य बना रहता है। देश दुनियां में कई मंदिर बड़े अनोखे हैं और किसी विशेष उद्देश्य के लिए बने हैं। कई बार ये कारण हमें हैरान भी करते हैं।

यम देव का भी मंदिर हैं

क्या आप जानते है कि मृत्यु के देवता यम देव का भी मंदिर हैं। उत्तरप्रदेश के मथुरा में यमुना नदी के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर है ये मंदिर यमराज और उनकी बहन मां यमुना को समर्पित है। इस मंदिर में भाई-बहन की इस जोड़ी की पूजा की जाती है। रक्षाबंधन की मूल कथा इसी से जुड़ी है। कथा इस प्रकार है कि भगवान सूर्यदेव और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र थे यमराज और पुत्री यमुना। बड़े होने पर यमराज ने अपना नगर यमपुरी बसाया और बहन यमुना गोलोक चली गईं। भाई के प्रति स्नेह के कारण यमुना ने कई बार उन्हें मिलने के लिए बुलाया। एक दिन यमराज अपनी बहन से मिलने गोलोक पहुंचे। यमुना ने भाई का स्वागत सत्कार किया और भोजन कराया। जब यमराज ने वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि जो भी मेरे जल में स्नान करेगा, वह यमलोक न जाए। यम के लिए यह वरदान देना कठिन था। तब यमुना ने कहा, चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन अपनी बहन के घर भोजन करते हैं और मथुरा नगरी के इस विश्राम घाट पर स्नान करते हैं, वे आपके लोक को न जाएं। तब यमराज ने बहन यमुना की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली। वो दिन था श्रावण शुक्ल पूर्णिमा और यमुना तट पर ये अनोखा मंदिर इसीलिए खास है कि इस दिन जो भाई बहन यमुना में डुबकी लगाकर यहां भाई बहन की पूजा करते हैं, उन्हे जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। रक्षा बंधन और भाई दूज के त्योहार पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटती है है। तभी से यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है।