प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं

उज्जैन। प्रदेश के साथ ही उज्जैन व जिले में भी आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही है। निश्चित ही यह चिंता का विषय है लेकिन जिस तरह इस तर की घटनाओं को रोकने की दिशा में शासकीय स्तर पर प्रयास होना चाहिए वह नाकाफी सिद्ध हो रहा है।
हालांकि सरकार की तरफ से प्रयास किये जा रहे है कि इस तरह की घटनाओं को रोका जाए बावजूद इसके सरकार के प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे है। आत्महत्या करने वालों में बच्चों से लेकर युवा और युवा से लेकर वृद्ध तक शामिल है। लोगों द्वारा आत्महत्या करने के पीछे प्रमुख रूप से जो कारण सामने आते है उनमें आर्थिक तंगी, कर्ज, मानसिक तनाव इत्यादि है लेकिन कोविड महामारी और लॉकडाउन के बाद जिस तरह से लोगों ने आर्थिक तंगी झेली है या मानसिक तनाव झेला है उससे भी आत्महत्या जैसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में ही आत्महत्या की कुल 1200 घटनाएं सामने आई थी वहीं इसके अगले वर्ष 2021 में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा 1300 के करीब पहुंच गया। मानसिक तनाव, बीमारियां, पारिवारिक कलह, पढ़ाई का दबाव और आत्महत्या। इन सबका आपस में गहरा संबंध है। कारण कुछ भी हो, मध्य प्रदेश में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते कुछ सालों में प्रदेश में आत्महत्या के मामले तीन प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। सितंबर 2022 में एमपी सरकार ने देश की पहली सुसाइड प्रिवेंशन पालिसी की घोषणा की थी। केंद्र ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए राज्यों को समिति बनाने के निर्देश दिए थे लेकिन सरकार इस दिशा मंे अभी तक आगे नहीं बढ़ सकी है। ढिलाई के चलते लोगों को जान बचाने का रास्ता दिखाने वाली नीति अटकी हुई है। साल 2020 में 235 किसानों ने आत्महत्या की। इसमें 73 का कारण पारिवारिक कलह, 55 की वजह पागलपन, मानसिक बीमारी और तीसरा अहम कारण- नशे की लत बताया गया। एनसीआरबी के मुताबिक, 2017 से 2022 के बीच प्रदेश के 1318 किसानों ने आत्महत्या की। आज से करीब 6 वर्ष पहले सूबे की सरकार ने आत्महत्या के कारण तलाशने के लिए सर्वे कराया था। तब की यदि बात करें तो सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की आत्महत्या दर देश की औसत दर से भी ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर सुसाइड रेट प्रति एक लाख पर लोगों पर 10 प्रतिशत है, जबकि मध्यप्रदेश में ये दर 13 फीसदी से ज्यादा है। आत्महत्या के मामलों में मध्यप्रदेश 14वें नंबर पर आता है। यहां पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं। प्रदेश में 60 फीसदी पुरुष मौत को गले लगाते हैं, तो 40 फीसदी महिलाएं आत्महत्या करती हैं। पांच साल के आंकड़ों पर किए सर्वे में आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह पारिवारिक असंतुष्टि है।