केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में दिखा रक्षाबंधन का उत्साह 1229 बंदियों को रक्षासूत्र बांधने पहुंची थी 2968 बहनें
दैनिक अवंतिका उज्जैन
उज्जैन। भाई-बहन के प्रेम का प्रतिक रक्षाबंधन सोमवार को केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में मनाया गया। सुबह 7 बजे से बहनों का पहुंचना शुरू हो गया था, जेल प्रशासन ने भाईयों को रक्षासूत्र बांधने आ रही बहनों के लिये स्वागत द्वार बनाया था। दोपहर 3 बजे तक जेल में रक्षाबंधन के उत्साह के बीच भाई-बहनों की आंखे नम दिखाई दी।
रक्षाबंधन पर प्रतिवर्षानुसार केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में अपने गुनाहों की सजा भुगत रहे बंदियों से उनकी बहनों की मुलाकात और रक्षासूत्र बांधने का कार्यक्रम इस बार भी सोमवार को रखा गया था। जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि रक्षाबंधन मनाने की तैयारियां रविवार को ही पूरी कर ली गई थी। इस बार बंदियों को राखी बांधने आने वाली बहनों के लिये स्वागत द्वारा बनाया गया था। जहां बहनों का महिला जेलकर्मियों द्वारा स्वागत किया गया। बहनों को जेल प्रशासन की ओर से आरती की थाली उपलब्ध कराई गई थी। वहीं केटिंग से मिठाई और नारियल की व्यवस्था की गई थी। जेल प्रांगण में बहनों के लिये शीतल पेयजल के साथ गर्मी से बचने के लिये कूलर की व्यवस्था की गई थी। सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक जेल में रक्षाबंधन का उत्सवी माहौल बना रहा। जेल में बंद 1227 पुरूष बंदियों से मिलने के लिये 2968 बहनें पहुंची थी। सहायक जेल अधीक्षक सुरेश गोयल ने बताया कि इस बार जेल प्रशासन द्वारा की गई बहनों की व्यवस्था की सभी ने काफी प्रशंसा की। कार्यक्रम के दौरान जेल उपअधीक्षक जसमनसिंह डाबर, नवीन कुमार नेमा, सहायक जेल अधीक्षक प्रवीण कुमार सहित स्टॉफ मौजूद था।
60 बहनों से मिलने पहुंचे थे 95 भाई
रक्षाबंधन पर जेल में बंद 60 महिला बंदियों से मुलाकात करने के लिये 95 भाई और 99 बहने भी पहुंची थी। इस दौरान माहौल काफी भावुक हो गया था। जेल में मिलने आये भाईयों को देख बहनों की आंखो से आंसू निकल पड़े थे। इस दौरान बंदी बहनों और भाईयों के बीच रक्षासूत्र की परंपरा भी पूरी कराई गई है। जिसकी व्यवस्था जेल प्रशासन ने की थी।
अपराध नहीं करने का दिया वचन
केन्द्रीय जेल में नियमों के मुताबिक आयोजित किये गये रक्षाबंधन पर्व पर बहनों को सिर्फ राखी लाने के लिये कहा गया था। उपहार आदन-प्रदान की अनुमति नहीं दी थी। बहनों ने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने के साथ कहा कि आगे से किसी प्रकार का अपराध नहीं करोगें, ताकि रिहा होने के बाद रक्षाबंधन परिवार के साथ मनाया जाये। भाईयों ने भी बुराई त्यागने का वादा करते बहनों को वचन दिया कि अब कोई अपराध नहीं करेगें।