कुम कुम का तिलक लगाकर बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधा अपने प्यार का रक्षा सूत्र
सुसनेर। सोमवार को श्रावण मास की पूर्णिमा पर भाई बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे शहर समेत ग्रामीण अंचल में बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भाई की कलाई पर प्यार की डोर बंधते ही स्नेह का बंधन बंध गया। कभी न टूटने वाली स्नेह की डोर के साथ बहनो ने भाईयो की कलाई पर राखी बांधी। एक और भाईयो ने अपनी बहनो को उनकी रक्षा का वचन िदया तो वही मनचाहे उपहार पाकर बहनो के चेहरे भी खिल उठे। उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ सोमवार को नगर मेंं रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। पर्व को लेकर बच्चो में भी खासा उत्साह दिखाई दिया। दिनभर सेिलब्रेशन का दौर भी चला। रक्षाबंधन पर्व की खुशियों को भाई-बहनो ने अपने मोबाइल के कैमरे में भी कैद किया। इस पर्व का सबसे ज्यादा उत्साह सनातन धर्मियो में देखने को मिला। हिन्दुत्व विचारधारो वाले घरो में विधिविधान से शुभ मुहूर्त में बहनो ने कुमकुम का तिलक लगाकर के सामुहिक रूप से अपने भाईयो की पुजा कर उन्है अपने प्यास और स्नेह से भरा रक्षा सूत्र बांधा।
ब्रह्माकुमारी आश्रम पर भी मना रक्षाबंधन उत्सव
राणा मानसिंह कालोनी में स्थित ईश्वरीय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम पर रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। यहा आश्रम की संचालिका माला दीदी ने नगर के गणमान्य नागरिको व जनप्रतनिधियों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके उज्ववल भविष्य की कामना की। इसी के अलावा नगर में अनेक स्थानो पर सामुहिक रूप से भी रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम आयोजित किये गए।
रुनिजा । इस बार 77 साल बाद सावन का पावन महीना और रक्षाबंधन का त्यौहार कई योग के साथ एक अजीब संयोग लेकर आया है। सोमवार से प्रारंभ हुआ सावन का पर्व पांचवे अंतिम सोमवार के साथ समापन हुआ। पूरे माह शिव की भक्ति व आराधना के साथ साथ धर्म कर्म की गंगा बहती रही ।तथा हर्षोउल्लास के साथ रक्षाबंधन के पर्व के साथ सावन पूरा हुअस। पूरे वर्ष तक जिस राखी के त्यौहार का खुशियों के साथ इंतजार करते भाई बहनों के पर्व पर भी इस बार दोपहर तक भद्रा का साया छाया रहा। दोपहर तक बहने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए इंतजार करती रही तो भाई भी राखी बंधवाने के बाद अपना प्यार पहन पर लूटने का को तरसतके रहे ।जैसे ही 1:30 के बाद देवताओं की पूजन के साथ भद्रा का साया खत्म हुआ उत्साह और उमंग के साथ भाई का बहन पर और बहन का भाई पर प्यार बरसा बहन ने भाई की सुनी कलाई पर अपने प्यार और दुलार का रेशमी धागा बांधकर ललाट पर स्नेह का तिलक लगाकर दीघार्यु की कामना की। वही भाई ने भी बहन के इस प्यार को सम्मान देते हुए उसके चरणों में माथा टेकते हुए अपनी ओर से सुरक्षा के वादे के साथ उपहार दिया। इस तरह से देर रात तक यह भाई बहन का त्यौहार उत्सव उमंग के साथ मनता रहा। इधर सोमवार को भी दोपहर तक बाजारों में भी काफी रोनक रही राखी की दुकान पर बहने अपने भाइयों के लिए राखी खरीदी नजर आई। राखी का व्यवसाय करने वाले गोविंद नागर ने बताया कि इस बार 300 से लगाकर 500 तक की राखियां हमारी दुकान पर थी और बहनों ने अपने-अपने हैसियत और श्रद्धा के अनुसार अपने भाई और भतीजो के लिए राखियां खरीदी वहीं रक्षाबंधन पर घेवर ,फन्नी मोतीचूर के लड्डू , और मावे की मिठाई की जोरदार मांग रही घेवर के खोखे बिना चासनी वाले ढाई सौ रुपए किलो , तो मोतीचूर के लड्डू डेढ़ सौ रुपए किलो के साथ मावे की मिठाई 300 से 400 रुपए किलो तक बिकी रुनीजा में कई रेस्टोरेंटों पर मिठाईयां शाम तक खत्म हो गई दुकानदारों दुबारा बनना पड़ी।
इसी के साथ साड़ियों व गिफ्ट आयटम भी खूब बिके 200 रु से लगाकर 2000 रु तक कि साड़ियां भाइयो अपनी बहनों के लिए खरीदी। रेडीमेड स्टोर पे बच्चो कपड़ो की ज्यादा माँग रही। कुल मिलाकर भद्रा व गर्मी के बाद भी भाई बहन का प्यार खूब परवान चढ़ा।
भौरासा
नगर में रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर सुबह से शाम तक हलचल देखने को मिली त्योहार से पूर्व ही बहन,बेटियो का आना जाना देखने को मिला वाहनों में भी भारी भीड़ देखने को मिली कोई अपने निजी वाहनों से आया सावन माह की पूर्णिमा पर बनने वाला ये त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होता हे शुभ मुहूर्त में बहन ने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध कर जीवन भर रक्षा करने का वचन दिया और बहन ने भाई की दीघार्यु और हमेशा स्वस्थ रहे ऐसी कामना कर बलैया ली यह एक अटूट प्रेम का संगम होता है। आज के दिन भाई बहन समस्त बातो को भुलाकर अपने एक दूसरे के प्रति हमेशा दुख सुख में साथ निभाने का भी वचन देते हे
ब्रह्मकुमारी बहनों ने जिला जेल में कैदी भाइयों को बांधी राखी
देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर द्वारा जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी के सानिध्य में जिला जेल में कैदी भाइयों एवं वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के बीच रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। सभी कैदी भाइयों को ब्रह्माकुमारी बहनों ने रक्षा सूत्र बांधा। प्रेमलता दीदी ने कैदी भाइयों को कहा, कि मानव जीवन में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार ईर्ष्या-द्वेष भावना से मन में क्रोध उत्पन्न होता है और हम ना चाहते हुए भी गलत काम कर बैठते है। जिसका पछतावा हमें जीवनभर रहता है, इसलिए जीवन में व्याप्त बुराइयों, अहंकार, ईर्ष्या व द्वेष भावना का त्याग कर जीवन को सद्मार्ग पर ले जाए। दीदी ने आगे कहा, कि कैद से मुक्त होना है, तो क्रोध पर नियंत्रण करना होगा। हमें अपनी बुराइयों का त्याग कर परमात्मा का रक्षा सूत्र बांधकर जीवन सुखमय बनाना है। हम जो रक्षा सूत्र बांध रहे हैं यह हर कोई के नसीब में नहीं होता है। यह परमात्मा का रक्षा सूत्र है। रक्षाबंधन अर्थात भाई को राखी बांधकर बहन रक्षा का वचन लेती है। जब हमारे अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आ जाती है तो इनके वशीभूत होकर मनुष्य बुरे कर्म कर बैठता है। फिर हमारे पास परमात्मा के अतिरिक्त कुछ और नहीं रह जाता है। बुराइयों को छोड़े बिना जीवन को सुखमय नहीं बनाया जा सकता।