अब सेना बैंड बजाए तो मजा आए खुसूर-फुसूर
खुसूर-फुसूर
अब सेना बैंड बजाए तो मजा आए
बाबा की सवारी में आकर्षकता का क्रम बराबर बढ रहा है। पिछले कुछ सालों में सवारी को निकालने के लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने पडते हैं। पहले सडक पर बेरिकेडस नहीं लगाना पडते थे । खुली सडक पर ही बाबा के लिए खुला मार्ग रहता था और श्रद्धालु मार्ग में दोनों और खडे रहते थे। इसके बाद रस्से से पालकी और दलों को घेरकर चलने का क्रम शुरू हो गया। धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की संख्या में इतना इजाफा हुआ की सडक के बीच में सवारी का रास्ता और दोनों और बेरिकेडस लगाए जाने लगे। बडे बेरिकेडस के लगे होने से पालकी के दर्शन न होने पर प्रशासन ने लाईव रथ साथ चला दिया। सवारी के आकर्षण को बढाने के लिए प्रदेश भर के जनजातीय दल उसमें अपनी संस्कृति और कला का प्रदर्शन करने लगे हैं। प्रदेश के 55 जिलों में पुलिस बेंड की स्थापना के पूर्व पुलिस का पूरा बैंड बाबा की सेवा और आराधना में बजाया गया है। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री एवं काबीना मंत्री उनकी सवारी में आकर श्रद्धा से सिर झुका रहे हैं, पैदल सवारी मार्ग पर चल रहे हैं झांझ,डमरू बजा रहे हैं बाबा के गुण गा रहे हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने हाल ही की सवारी में बाबा का गुणगान अपनी धूनों में किया है। बढती आकर्षकता में खुसूर- फुसूर है कि इस वर्ष के श्रावण मास की 5 सवारियां निकल चुकी है। भादौ मास की दो में से एक सवारी जन्माष्टमी पर एवं अंतिम शाही सवारी 2 सितंबर को निकलने वाली है ऐसे में महु इंफेंट्री या फिर रेवती रेंज बीएसएफ या फिर राजस्थान से राजपुताना राईफल का बैंड बाबा की सेवा में लाया जाए और बाबा का गुण गाया जाए।