रेलवे स्टेशन पर टिकिट लेने में खुल्ले के झंझट से मुक्ति मिली -परे रतलाम मंडल के उज्जैन स्टेशन पर भी डिजिटल भूगतान की सुविधा शुरू
दैनिक अवंतिका उज्जैन
उज्जैन। रेलवे स्टेशन के टिकिट घर पर खुल्ले रूपयों को लेकर होने वाले झंझटों का अंत हो गया है। रेलवे ने इसके लिए डिजिटल भुगतान की शुरूआत कर दी है। इससे खुलले पैसे को लेकर आए दिन टिकिट विंडों पर होने वाली तू-तू ,मैं-मैं को तो विराम मिलेगा ही कई बार उपभोक्ता को जलदी में खुल्ले के झंझट में अपनी शेष रकम छोडना पडती थी उस परिस्थिति से भी निजात मिलेगी और रेलवे टिकिट कर्मियों को भी विजिलेंस की टीम के प्रकरण बनाने से निजात हो गई है।पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल डिजिटल भुगतान की विधियों का उपयोग करके कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ते हुए रतलाम मंडल में निर्बाध ऑनलाइन भुगतान विकल्पों की सुविधा के लिए 88 लोकेशनों पर 113 डायनेमिक क्यूआर कोड डिवाइस लगाए गए हैं।13 दिन में 20.23 लाख का डिजिटल भूगतान-रतलाम मंडल जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि क्यूआर कोड डिवाइस से लेनदेन 07 अगस्तसे शुरू किया गया है। इससे 20 अगस्ततक लगभग 22.57 हजार यात्रियों को 11.70 हजार से अधिक टिकट जारी करते हुए 20.23 लाख से अधिक डिजिटल भुगतान दर्ज किए गए हैं।88 स्टेशनों पर सुविधा-रतलाम मंडल के रतलाम, उज्जैन, इंदौर, देवास, सीहोर, शुजालपुर, चित्तौड़गढ़,नीमच, मंदसौर, जावरा, डॉ. अम्बेडकर नगर, बड़नगर, नागदा, खाचरोद सहित मंडल के कुल 88 स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा चुकी है। शेष पर इंस्टॉलेशन कार्य प्रगति पर है।उपभोक्ता एवं कर्मी दोनों की समस्या का निदान-अक्सर रेलवे स्टेशन के टिकिट घर पर खुल्ले रूपए और चिल्लर को लेकर रेलवे टिकिट कर्मी और उपभोक्ता के बीच विवाद की स्थिति बनती थी नई व्यवस्था से इसमें रोक लग सकेगी और उपभोक्ताओं को परेशानी से निजात मिल सकेंगी। इसके साथ ही रेलवे कर्मियों को भी विभागीय विजिलेंस का भय रहता था । रेलवे के नियमों के अनुसार कर्मी ने जितने टिकिट बेचे हैं उतने ही रकम उसके केश बाक्स में मिलना चाहिए उससे अधिक रूपए मिलने पर संबंधित कर्मी को जांच का सामना करना पडता है। चंद रूपयों के लिए ही कई बार कर्मियों को दंडित होना पडा है। डिजिटल लेनदेन से इस पर भी रोक लग सकेगी।