आचार्यश्री विद्यासागर से प्रभावित हो 10 लाख की नौकरी छोड़ बने वैरागी
ब्रह्मास्त्र इंदौर। कंपनी में सीए सुमित जैन अब वैराग्य के मार्ग चल दिए हैं। रविवार को उन्होंने दमोह जिले के कुण्डलपुर में दीक्षा ली। वह अब क्षुल्लक मंथनसागर महाराज कहलाएंगे। उन्होंने सीए की पढ़ाई के बाद इंदौर में ही नौकरी शुरू की थी। उनका सालाना पैकेज 10 लाख रुपए से ज्यादा था। दीक्षा से पहले उन्होंने आचार्यश्री से भेंट कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद विधि-विधान से उन्हें दीक्षा दिलाई गई। इस दौरान उनके परिवार के सदस्य भी वहां मौजूद रहे। वह काफी समय से आचार्यश्री के सान्निध्य में काम कर रहे थे।
32 वर्षीय सुमित जैन गुना शहर के गल्ला व्यापारी सुरेशचंद्र जैन के पुत्र हैं। 1990 में उनका जन्म हुआ। उनके बड़े भाई सचिन जैन MR हैं। सुमित जैन ने गुना में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद इंदौर से सीए की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद इंदौर में ही एक फर्म में नौकरी की। दो वर्ष इंदौर में काम करने के बाद वे आचार्यश्री के सान्निध्य में आ गए। 4 वर्ष पहले सागर में चलने वाले उनके शांतिधारा प्रोजेक्ट से सुमित जैन जुड़ गए थे, तभी से वह आचार्यश्री के सान्निध्य में ही रह रहे हैं। मई 2018 में ही उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था।
उनके बड़े भाई सचिन जैन ने बताया कि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से प्रेरित होकर सुमित ने वैराग्य जीवन अपनाने का सोच लिया था। रविवार को दमोह जिले में स्थित कुण्डलपुर तीर्थ पर आचार्य विद्यासागर महाराज के सान्निध्य में चल रहे पंचकल्याणक महामहोत्सव में उन्हें क्षुल्लक दीक्षा दी। दीक्षा के पूर्व दीक्षार्थियों की बिनौली, बारात आदि के कार्यक्रम हुए। इस दौरान देशभर के करीब डेढ़ दर्जन दीक्षार्थियों ने आचार्यश्री और उपस्थित जनसमुदाय के समक्ष सामूहिक क्षमा मांगी और अन्यों को क्षमा किया।