जन्माष्टमी मनाने के सरकारी आदेश पर शुरू हुई सियासत
भोपाल। सूबे की मोहन सरकार द्वारा 26 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार सरकारी स्तर पर मनाने के आदेश के बाद सियासत शुरू हो गई है। बता दें कि सरकार ने शासकीय अवकाश तो घोषित किया ही है वहीं शैक्षणिक संस्थाओं में भी सांस्कृति कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है और इनकी तैयारियां शुरू हो गई है।
इधर विपक्ष का कहना है कि यह देश गोडसे की विचारधारा से नहीं बल्कि संविधान से चलेगा। भोपाल विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि अगर आप हिंदू धर्म के त्योहारों को तवज्जो दे रहे हैं तो मुस्लिमों के त्योहारों को भी मनाना चाहिए। वहीं बीजेपी ने भी इस पर पलटवार करते हुए कहा कि हिंदू त्यौहारों से क्या आपत्ति है? भोपाल विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि जब जन्माष्टमी पर सरकारी छुट्टी घोषित है तो स्कूलों में आयोजन कराने का क्या मतलब है? एक तरफ सरकार मदरसों को लेकर कुछ और कहती है और स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने का सरकारी आदेश जारी करती है। ये दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। अगर जन्माष्टमी मनाने का आदेश दे रहे हैं तो पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों का क्या? क्या सरकार ईद और गुरु नानक जयंती भी इसी तरह मनाएगी? मसूद के बयान पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को जन्माष्टमी और हिंदू त्योहारों से क्या आपत्ति है? कांग्रेस तुष्टिकरण को लेकर इतनी ज्यादा गंभीर है कि उसे जनभावनाओं का ख्याल ही नहीं है। क्या स्कूलों में हिंदू त्योहार मनाना अपराध है? स्कूलों में सारे त्योहार मनाए जाते हैं, हम सब मनाएंगे, ईद नहीं मनाएंगे ये कैसी बात है? मध्य प्रदेश में इससे पहले गुरु पूर्णिमा के अवसर पर स्कूलों में सरस्वती वंदना को लेकर सरकारी आदेश जारी हुआ था। इसके बाद संघ प्रचारकों की लिखी हुई किताबें कॉलेज स्टूडेंट्स को पढ़ाने को लेकर भी विवाद हुआ था। अब नया विवाद जन्माष्टमी को लेकर उठ खड़ा हुआ है। फिलहाल सरकार का कहना है कि अगर इन आदेशों से कांग्रेस को लगता है कि शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है तो ये ही सही।