शिप्रा नदी में आई बाढ़, छोटे पुल के ऊपर पानी, कई मंदिर हुए जल मग्न
मौसम फिर हुआ मेहरबान, तापमान में आई 5 डिग्री की कमी
दैनिक अवंतिका उज्जैन। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने लो प्रेशर सिस्टम से एक बार फिर से मौसम मेहरबान दिखाई दे रहा है। गुरूवार-शुक्रवार रात शुरू हुई बारिश सुबह तक जारी रही। जिसके बाद क्षिप्रा का जलस्तर छोटी रपट को पार कर गया। घाटों पर बने मंदिर डूब गये। उज्जैन के साथ ही इंदौर-देवास में भी बारिश का क्रम जारी है।
मौसम विभाग ने चार दिन पहले ही मानूसन का जोरदार सिस्टम एक्टिवेट होने और प्रदेश के अधिकांश जिलों में तेज बारिश का अलर्ट जारी कर दिया था। जो सही साबित होता दिखाई दे रहा है। गुरूवार को दिन में हुई 20 मिमी. बारिश के बाद उमस बढ़ने लगी थी। लेकिन रात ढ़लने के साथ ही फिर से मौसम बनने लगा और रात 2 बजे बाद बारिश की शुरूआत हुई। शुक्रवार सुबह तक बारिश होती रही। उज्जैन के साथ ही इंदौर-देवास में बारिश का क्रम बना रहा। रातभर की बारिश के बाद सुबह क्षिप्रा का जलस्तर बढ़ने लगा था, कुछ देर में छोटी रपट के ऊपर पानी पहुंच गया। क्षिप्रा के घाटों पर बने मंदिर डूबे दिखाई देने लगे। क्षिप्रा में ऊफान को देखते हुए प्रशासन, होमगार्ड और पुलिस विभाग ने मोर्चा संभाल लिया था। छोटी रपट पर आवागमन बंद कर दिया गया। नहाने के लिये पहुंच रहे श्रद्धालुओं को गहरे पानी में जाने से रोका जाने लगा। दिनभर जलस्तर कम ज्यादा होता रहा। शाम को रपट से 2 फीट ऊपर पानी था। इस वर्षाकाल में क्षिप्रा चौथी बार छोटी रपट से ऊपर पहुंची है।
32 से 29 डिग्री पर आया दिन का तापमान
मंगलवार को हुई 19 मिमी. बारिश के बाद बुधवार को अधिकतम तापमान 32 डिग्री को पार कर गया था। गुरूवार को भी उमस और गर्मी के बीच तापमान 32.4 डिग्री रहा था। लेकिन गुरूवार सुबह और रात में हुई बारिश के चलते शुक्रवार को अधिकतम तापमान 5 डिग्री गिरावट के साथ 29 डिग्री पर आ गया था। 24 घंटे में हुई 29 मिमी. बारिश के बाद औसतन बारिश 577 मिमी. (23 इंच) पहुंच चुकी थी। वेधशाला अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार गुप्त के अनुसार शहर की औसतन बारिश 36 इंच है। जिसमें अब भी 13 इंच की जरूरत है। मौसम विभाग ने रविवार तक तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं वर्षाकाल 15 सितंबर तक का है। इस बीच औसतन आंकड़ा पूरा होने की संभावना बनी हुई है।
पूरे वर्षाकाल में 1 बार डेम में आया पानी
शहर के सबसे बड़े जल स्त्रोत के साधन गंभीर डेम में इस बार पूरे वर्षाकाल के दौरान 1 बार ही पानी आया पाया है, वह भी काफी कम था, डेम की क्षमता 2250 एमसीएफटी है। जिससे पूरे वर्ष शहर में जलप्रदाय किया जाता है। अगस्त माह गुजरने को है और डेम अपनी 25 प्रतिशत क्षमता को भी पार नहीं कर पाया है। अगर शेष बचे वर्षाकाल में बारिश नहीं हुई तो दीपावली बाद ही जलसंकट का खतरा मंडराने लग जायेगा। वर्तमान में 500 एमसीएफटी पानी संग्रहित है। प्रतिदिन 7 से 8 एमसीएफटी की सप्लाय शहर में हो रही है। डेम में संग्रहित 400 एमसीएफटी पानी ही सप्लाय किया जा सकता है। 100 एमसीएफटी के लगभग पानी डेड स्टोरेज का रहता है।