इस बार छह योग के संयोग में मनेगी जन्माष्टमी…50 साल बाद आया अवसर

इस बार जन्माष्टमी पर 52 वर्ष बाद जयंती योग सहित छह योग का संयोग बन रहा है। सर्वार्थसिद्धि, स्थिर योग, हर्षण योग, शश योग, गजकेशरी योग का संयोग है। इन महासंयोगों में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से शुभदायी फल की प्राप्ति होगी।  ऐसा अवसर लगभग 52 वर्ष बाद    आया है।
ज्योतिषियों ने बताया कि ”’निर्णयामृत” और ”तिथितत्व” नामक ग्रंथ कहते हैं, कि जन्माष्टमी या तो रोहिणी नक्षत्र युक्त या बिना रोहिणी नक्षत्र वाली हो सकती है। बिना रोहिणी नक्षत्र वाली अष्टमी तिथि यदि हो तो जिस मध्य रात्रि को अष्टमी तिथि हो तो दूसरे दिन रात्रि के समय जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए। स्मार्त और वैष्णव अर्थात संन्यासी और गृहस्थ दोनों ही एक ही दिन 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। अगले दिन 27 को नंदोत्सव की धूम रहेगी।

राशि के अनुसार लगाए भोग
यदि जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते है तो ज्योतिषयों ने बताया कि राशि के अनुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाना चाहिए।

मेष : लड्डू और अनार का भोग लगाएं
वृषभ : रसगुल्ले का भोग
मिथुन :काजू की मिठाई
कर्क : नारियल की बर्फी
सिंह : गुड़ व बेल का फल
कन्या : तुलसी के पत्ते और हरा फल
तुला : कलाकंद और सेब
वृश्चिक : गुड़ की मिठाई
धनु : बेसन की मिठाई
मकर : गुलाब जामुन और काले अंगूर
कुंभ : पीसा धनिया, शक्कर, चीकू चढ़ाएं
मीन : जलेबी, केला