6 स्वरूपों में भक्तों को दिए राजाधिराज ने दर्शन
उज्जैन। सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकली। यह सवारी भादौ माह की पहली सवारी थी। सवारी के दौरान गोण्ड जनजातीय थातिया नृत्य की प्रस्तुति भी लोक कलाकारों ने देकर समा बांधा।
सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में विधिवत भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन-अर्चन होने के पश्चात अपनी प्रजा के हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलें। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी दी गईं। उसके पश्चात परंपरागत मार्ग से होते हुए सवारी क्षिप्रा तट रामघाट पहुची। जहॉ पर भगवान महाकाल का क्षिप्रा के जल से अभिषेक एवं पूजा-अर्चन की गईं। मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड ने बताया कि, श्री महाकालेश्वर भगवान की 26 अगस्त को निकलने वाली षष्ठम सवारी में पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं रथ पर श्री घटाटोप विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलें।