जीवन को सफल बनाने के लिए धैर्य जरूर बनाए रखें

आत्मसंयम यानी कि धैर्य। जीवन को सफल बनाने और मंजिल को पाने के लिए आत्मसंयम जरूर बनाए रखें। जीवन में कई तरह की कठिनाइयां व संकट आते हैं, मगर उन्हें देखकर घबराना नहीं चाहिए। आत्मसंयम हमें कठिनाइयों से सबक लेना सिखाता है। जिनके बल पर ही हम आगे बढ़ते हुए विवेक की लौ जलाकर सफलता की इबारत लिखते हैं।

क्रोध हमेशा ही परिस्थितियों को बिगाड़ देता है और धैर्य की मदद से परिस्थितियों को बदला जा सकता है। क्रोध व गुस्से में किया जाने वाला कार्य बनते-बनते बिगड़ जाता है और न ही वो अधिक कार्य कर पाता है। धैर्यवान व्यक्ति अपने विवेक की मदद से शांत स्वभाव के साथ सभी कार्यों को सिद्ध कर लेता है। उसका यही कारण है कि धैर्यवान व्यक्ति के लिए कोई भी कार्य मुश्किल व असंभव नहीं होता, जो धैर्य की ताकत से कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है। दूसरी तरफ से क्रोध व विचलित मन मुस्तिष्क का दुश्मन बन जाता है। जिस वजह से मनुष्य परिस्थितियों से निकलने के लिए हड़बड़ी में कार्य कर तो देता है, पर उसका परिणाम भी उतना ही विपरीत होता जाता है। तभी तो कहा जाता है कि हम स्वयं ही अपने शत्रु हैं, इसलिए खुद को जानें और पहचानें। धैर्य की ताकत के साथ जीवन के पथ पर आगे बढ़ें। मुश्किलें चाहे कितनी भी क्यूं न आए घबराएं नहीं उनका डट कर सामना करें। धैर्य रखते हुए आप खुद ब खुद उन परिस्थितियों को पार करके आगे निकल जाएंगे। धैर्य रखना साहसी लोगों का लक्षण है। वास्तव में धैर्य का फल मीठा होता है। दरअसल जो लोग धैर्य रखते हैं उनको चीजों के विश्लेषण करने का मौका मिल जाता है। एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे। गांव जाने के मार्ग में उनको जगह-जगह बहुत से गड्ढे मिले। बुद्ध के एक शिष्य ने उन गड्ढों को देखकर जिज्ञासा प्रकट की, ‘आखिर इस तरह गड्ढे खुदे होने का तात्पर्य क्या है?’
बुद्ध बोले, ‘पानी की तलाश में किसी व्यक्ति ने इतने गड्ढे खोदे हैं। यदि वह धैर्यपूर्वक एक ही स्थान पर गड्ढा खोदता तो उसे पानी अवश्य मिल जाता, पर वह थोड़ी देर गड्ढा खोदता होगा और पानी न मिलने पर दूसरा गड्ढा खोदना शुरू कर देता होगा। व्यक्ति को परिश्रम करने के साथ धैर्य भी रखना चाहिए।’ इसी तरह क्रोध के क्षण में भी धैर्य का एक पल दुख के हजार पलों से बचे रहने में हमारी सहायता करता है।

Author: Dainik Awantika