सफलता के लिए न छोड़े धर्म और धैर्य

जीवन में किसी भी उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए धैर्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरों का हिस्सा हड़पकर मिली उपलब्धि दोषपूर्ण है। इससे कटुता के अतिरिक्त कुछ और नहीं प्राप्त होता। सभी लोग समृद्धि से भरा जीवन चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनके पास सभी भौतिक साधन-संसाधन हों। उनकी जय-जयकार हो।

ऐसी इच्छा अनुचित नहीं, परंतु प्राय: यही देखने में आता है कि लोग येन-केन-प्रकारेण उसे पूर्ण करने लग जाते हैं। कुछ सफल भी हो जाते हैं। वहीं तमाम लोग सही राह पर चलते हुए भी असफल हो जाते हैं। इससे उनमें एक निराशा घर कर जाती है। यह उचित नहीं। स्मरण रहे कि जीवन में किसी भी उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए धैर्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरों का हिस्सा हड़पकर मिली उपलब्धि दोषपूर्ण है। इससे कटुता के अतिरिक्त कुछ और नहीं प्राप्त होता। इसलिए कोई भी सांसारिक सुख प्राप्त करने से पहले आत्म-साक्षात्कार आवश्यक है। जो ऐसा नहीं करते उन्हें कष्ट मिलता है। इसके विपरीत आज यही स्थिति है कि हर कोई दूसरे का विश्लेषण तो कर रहा है, परंतु खुद अपने भीतर नहीं झांक रहा। यदि कोई व्यक्ति दूसरे के घर में जमा कचरे की सफाई करता है तो उस व्यक्ति का घर तो साफ हो जाएगा, परंतु अपने घर में गंदगी बनी रहेगी। जबकि होना तो यह चाहिए प्रत्येक व्यक्ति अपना घर साफ करे। यही बात आचरण के लिए भी आवश्यक है। व्यक्ति इस बात की चिंता छोड़कर कि कौन कैसा है, वह अपने स्वभाव और आचरण को उत्तम बनाए तो उसकी ही छवि उत्तम होगी। इससे न केवल उसकी ख्याति बढ़ेगी, अपितु उसके परिवार के लोग भी उत्तम आचरण को आत्मसात कर उपलब्धि एवं ख्याति प्राप्त करने लगेंगे। कोई भी व्यक्ति उच्च उपलब्धियां पाने के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य करे तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी। विद्वानों ने कहा है कि किसी भी क्षेत्र में प्रयत्न करने से भी मनोरथ पूरे नहीं हो रहे हैं तो समझना चाहिए कि प्रयत्न में कहीं न कहीं कोई दोष रह गया है। ऐसे में व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने प्रयत्न में सुधार कर सफलता के मार्ग पर आगे बढ़े। याद रहे कि बार-बार प्रयास से ही सफलता संभव हो सकती है।