अतिथ शिक्षकों के माथे फूटा खराब परीक्षा परिणाम का ठिकरा, पीड़ा बताई …अब इस उम्र में कहां मिलेगी हमें नौकरी.. जिसका ज्ञान नहीं फिर भी वहीं विषय पढ़ाया था

उज्जैन। स्कूली शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में खराब परीक्षा परिणाम का ठिकरा अब अतिथि शिक्षकों के सिर पर फोड़ा है। एक आदेश के तहत ऐसे अतिथि शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है जो तीस प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम लाने के जिम्मेदार है। पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में भी ऐसे कई अतिथि शिक्षक है जो अब नौकरी में नहीं रहंेगे।
ऐसे अतिथि शिक्षकों की पीड़ा यह है कि अब इस उम्र में उन्हें कोई दोबारा नौकरी नहीं देंगे वहीं स्कूलों में ऐसे विषयों को भी उनसे पढ़वाया गया है जिसका उन्हें कोई नॉलेज नहीं था। सालों से पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इन्हें इसलिए बाहर कर दिया गया है कि उनके विषयों में परीक्षा परिणाम खराब रहा है।  दरअसल प्रदेश के सरकारी स्कूल शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से उनकी कमी पूरी करने के लिए अतिथि शिक्षकों की हर साल भर्ती की जाती है। हजारों शिक्षक पिछले 10 से 15 साल से सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस वर्ष डीपीआई के एक आदेश ने करीब जिले सहित पूरे प्रदेश में   करीब 15000 अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया है। दरअसल  शिक्षा विभाग ने इस वर्ष अतिथि शिक्षकों की भर्ती में 30 फीसदी से कम रिजल्ट लाने वाले अतिथि शिक्षकों को दोबारा नौकरी पर नहीं रखने का आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि इस समय प्रदेश के स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। कई बार सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों से वह विषय भी पढ़वाया जाता है, जो उनका विषय भी नहीं है। कई अतिथि शिक्षक आखिरी के एक-दो महीने में संबंधित विषय पढ़ाते हैं। कुछ स्कूलों में बच्चे आते ही नहीं है और वे फैल हो जाते हैं।
खराब रिजल्ट आने पर अतिथि शिक्षकों को जिम्मेदार बता दिया जाता है। इस तरह से उनकी गलती नहीं होने पर भी उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जा रहा है। जबकि वहीं नियमित शिक्षकों पर यह नियम लागू नहीं है।  अतिथि शिक्षकों का तर्क है कि जिन भी अतिथि शिक्षकों के एग्जाम का रिजल्ट 30 प्रतिशत से कम है, उनकी सेवा अवधि देखी जाए। 40 प्रतिशत अतिथि शिक्षकों के केवल 3 या 4 महीने ही स्कूलों में पढ़ाया है। नियमित शिक्षक और अतिथि शिक्षकों के परीक्षा परिणाम का भी एनालिसिस होना चाहिए। अतिथि शिक्षकों को 6 महीने का मानदेय यानी सैलरी से कुछ ज्यादा पैसा नहीं मिलता। ऐसे में सारी जवाबदारी थोपना गलत है।  अप्रैल और मई की सैलरी अभी तक नहीं दी गई है ऐसे में 50 किमी दूर जाकर पढ़ाई करना मुश्किल होता है। 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले अतिथि शिक्षकों को एक बार मौका देना चाहिए अगर फिर भी अगले परीक्षा सत्र में भी इनमें कोई सुधार नहीं होता है तो इन्हें इनकी नौकरी से हटा दिया जाएगा।

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