महिला आयोग में न अध्यक्ष और न सदस्य…इसलिए नहीं हो रही महिलाओं की सुनवाई
उज्जैन से भी पीड़ित महिलाओं द्वारा की जाती है शिकायत
उज्जैन। राज्य महिला आयोग में उज्जैन जिले से भी पीड़ित महिलाओं द्वारा भले ही शिकायत की जाती हो लेकिन राज्य महिला आयोग में न तो अध्यक्ष है और न ही सदस्य लिहाजा शिकायत पेंडिंग ही पड़ी हुई रहती है।
पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में भी अमूमन हर दिन ही उज्जैन जिले में भी महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ गए है और यह प्रावधान रहा है कि पीड़ित महिलाएं अपनी शिकायत राज्य महिला आयोग को कर सकती है लेकिन बीते लंबे समय से आयोग का गठन ही सरकार की तरफ से नहीं किया जा सका है इसलिए महिलाओं को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
बता दें कि अब तक राज्य महिला आयोग में पूरे प्रंदेश भर से करीब 24 हजार मामले लंबित हैं, जबकि आयोग के नियमानुसार किसी भी शिकायत पर 15 दिन के अंदर कार्रवाई करनी होती है। आयोग में 2018 के बाद बेंच ही नहीं लगी है। इस कारण आयोग में पीड़ित महिलाओं के मामले बढ़ रहे हैं। आयोग में करीब पूरे प्रदेश भर से 3500 महिलाएं हर साल महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराने पहुंचती हैं। 2018 में आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े का कार्यकाल खत्म होने के बाद 2019 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने 18 मार्च 2020 आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा को बनाया गया और सदस्यों की भी नियुक्ति की गई थी, लेकिन उसके बाद फिर से भाजपा की सरकार आई और नियुक्तियों का मामला कोर्ट पहुंच गया। इस दौरान एक भी दिन बेंच नहीं लगी। इसके बाद से दुबारा भाजपा की सरकार 2022 में बनने के बाद महिला आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।इस कारण हिंसा पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। आयोग में प्रदेश भर से हर रोज नौ से 10 महिलाएं शिकायत दर्ज हो रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के कारण महिलाएं निराश होकर लौट रही हें। अब तो महिलाओं को वहां जाने पर महिला थाना या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में काउंसलिंग के लिए भेजा जा रहा है।