-सोमवती अमावस्या के संयोग में निकली प्रमुख सवारी,श्रद्धा का सैलाब उमडा

 

राजसी वैभव में श्री महाकाल नगर भ्रमण पर सात स्वरूपों में निकले

-अवंतिकानाथ का पुष्प पंखुडियों से जन-जन ने किया स्वागत,एक झलक देखने को आतुर रहे श्रद्धालु

उज्जैन। सोमवती अमावस्या के संयोग में सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रमुख एवं राजसी सवारी निकाली गई। सात स्वरूपों में भगवान ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। प्रमुख राजसी सवारी के दर्शनों के लिए श्रद्धा का सैलाब सडकों पर उमड पडा था। श्रद्धालुओं ने राजसी वैभव में रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा स्वरुप व सप्तम सवारी में श्री सप्तधान का मुखारविंद के दर्शन किए । श्रद्धालु भगवान की एक झलक देखने को आतुर देखे गए।

सोमवार को अपरांह 4 बजे मंदिर के सभा मंडप में भगवान के श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप को विराजित कर पं.महेश पुजारी ने भगवान की आरती लय विलय का पूजन किया। इस दौरान सभा मंडप में पुजारी परिवार सहित जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। इसके उपरांत श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप को रजत पालकी में विराजित कर कंधा देते हुए नगर भ्रमण के लिए प्रस्थित किया गया। चंवर,छत्र के साथ भगवान की पालकी मंदिर परिसर से बाहर कहारों के द्वारा लाई गई। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दिया गया।

मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि सोमवती अमावस्या के संयोग में इस वर्ष की भाद्रपद माह की दूसरी और अंतिम सवारी राजसी वैभव में निकाली गई। परंपरागत 7 किलोमीटर मार्ग पर सवारी निकाली गई। रामघाट पर  भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर एवं गजराज पर आरूढ़ श्री मनमहेश के  माँ क्षिप्रा के तट पर पूजन-अर्चन व आरती की गई। श्री गोपाल मंदिर पर सिंधिया स्टेट द्वारा परम्परानुसार पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर का पूजन किया गया। यहां भगवान का हरि-हर मिलन हुआ। उसके बाद सवारी पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए मंदिर पहुंची। सवारी मार्ग में श्रद्धालुओं ने पालकी पर पुष्प पंखुडी उडाकर स्वागत किया।